वाराणसी I वाराणसी का डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम अपने ऐतिहासिक खेल आयोजनों के लिए जाना जाता है, जहां देश-विदेश के कई नामचीन खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। इस स्टेडियम का नाम अब विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया है और यहाँ के गौरवशाली इतिहास को हम संक्षेप में बताते हैं।
स्टेडियम का निर्माण 1960 से 62 के बीच डॉ. संपूर्णानंद के प्रयास से हुआ था। इस मैदान पर 500 से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने खेल का जादू बिखेरा है। भारतीय क्रिकेट के महानतम खिलाड़ी सुनील गावस्कर, कपिल देव और सचिन तेंदुलकर ने भी यहाँ अपने करियर की महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं। खासकर, 1983 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद यहाँ एक प्रदर्शन मैच का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी प्रमुख खिलाड़ी शामिल हुए थे।
वाराणसी क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण यादव ने बताया कि 1983 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के साथ मिलकर सिगरा स्टेडियम में मैच आयोजित किया गया था। यहाँ कई उभरते खिलाड़ियों ने भी अपने खेल का लोहा मनवाया है। डिलीप वेंगसरकर, यशपाल शर्मा और इरफान पठान जैसे खिलाड़ियों ने भी यहाँ मुकाबले खेले हैं।
फुटबॉल के मुकाबले भी इस स्टेडियम में आयोजित किए गए हैं। 1965 में यहाँ मोहन बगान जैसे प्रसिद्ध क्लब के मैच आयोजित हुए थे, जिसमें स्थानीय खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा दिखाई।
डॉ. संपूर्णानंद, जिनका जन्म काशी में हुआ था, उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री और राजस्थान के दूसरे राज्यपाल रहे। उन्होंने काशी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की। उनके योगदान से काशी और यूपी की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनी।
अब, वाराणसी के इस स्टेडियम के विकास की जिम्मेदारी खिलाड़ियों पर है। हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने कहा कि यह खेल का स्वर्णिम युग है और अब काशी को खेलों के लिए जाना जाएगा। वहीं, इंटरनेशनल बास्केटबॉल प्लेयर प्रशांति सिंह ने भी इस उपलब्धि को बेमिसाल बताया और कहा कि यह काशीवासियों के लिए एक बड़ा सपना सच होने जैसा है।
इस प्रकार, डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम न केवल वाराणसी की खेल धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मंच भी प्रदान करता है।