New Delhi : दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के एक कॉलेज में कार्यरत प्रोफेसर पर नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने विस्तृत जांच के बाद प्रोफेसर को सेवा से हटाने की सिफारिश की है। अब अंतिम निर्णय DU के कुलपति द्वारा लिया जाएगा।

पीड़िता ने दिसंबर 2024 में ICC के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए समिति ने तत्काल प्रभाव से प्रोफेसर को कॉलेज से दूर रहने और छात्रों से किसी भी प्रकार के संपर्क से रोके जाने के निर्देश दिए थे।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद जनवरी 2025 में DU परिसर में छात्र संगठनों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया। AISA, ABVP और SFI जैसे संगठनों ने प्रशासन पर पुराने मामलों को दबाने का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की। बढ़ते दबाव के चलते प्रोफेसर को अपने सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें 6 सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, DU के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ इससे पहले भी तीन बार शिकायतें की जा चुकी हैं—वर्ष 2016, 2020 और 2023 में, लेकिन हर बार मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। छात्र संगठनों का आरोप है कि यह संस्थागत लापरवाही का उदाहरण है।

इस बार मामला नाबालिग से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए POCSO एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपी प्रोफेसर को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि उनसे पूछताछ की जाएगी और कॉलेज प्रशासन से सभी आवश्यक दस्तावेज़ जुटाए जा रहे हैं।
ICC की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी का सेवा में बने रहना न केवल छात्रों की सुरक्षा बल्कि DU की साख के लिए भी खतरनाक हो सकता है। समिति ने कुलपति से सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि इस बार भी मामले को दबाया गया, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उनका कहना है कि यह केवल एक छात्रा का मामला नहीं, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता का प्रश्न है।


अब सभी की निगाहें कुलपति के फैसले पर टिकी हैं। यदि बर्खास्तगी को मंजूरी मिलती है, तो यह विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक मजबूत संदेश होगा।