वाराणसी। कैंट थाना क्षेत्र में 2011 में हुए दोहरे हत्या मामले में विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने पूर्व सांसद अतुल राय, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुजीत सिंह बेलवा और छह अन्य आरोपितों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
मामले का विवरण :-
भक्तिनगर, दौलतपुर निवासी आशा देवी ने 25 अगस्त 2011 को कैंट थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बेटे रंजीत गौड़ और उनके साथी विनोद गौड़ को कुछ अज्ञात लोग जीप और मोटरसाइकिल पर जबरन बैठाकर ले गए थे। तलाश के बाद भी जब उनका पता नहीं चला, तो उन्होंने कचहरी में श्रीप्रकाश उर्फ झून्ना पंडित से मुलाकात की। श्रीप्रकाश ने दावा किया कि दोनों की हत्या कर शव ठिकाने लगा दिए गए हैं। 27 अगस्त 2011 को रंजीत और विनोद के शव दौलतपुर के बसंत विहार कॉलोनी के एक गड्ढे से बरामद हुए। इसके बाद पुलिस ने हत्या और अन्य आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए पूर्व बसपा सांसद अतुल राय, सुजीत सिंह बेलवा और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।
अदालत का फैसला :-
मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने आशा देवी समेत 13 गवाह पेश किए, लेकिन आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका। इस आधार पर अदालत ने सुशील सिंह, झून्ना उर्फ श्रीप्रकाश मिश्रा, अभिलाख पांडेय, सतीश यादव उर्फ बच्चा, शिशु उर्फ शिवा कुमार, अजय उर्फ विजय और राजन पांडेय को बरी कर दिया।
- सुशील सिंह और झून्ना को नाबालिग पाए जाने पर उनके मामले किशोर न्याय बोर्ड को भेज दिए गए।
- धर्मेंद्र पांडेय और सतीश यादव की मृत्यु हो चुकी थी, जिससे उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।
अतुल राय और अभिषेक सिंह हनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं अनुज यादव, बृजपाल सिंह यादव और विनीत कुमार सिंह ने अदालत में उनका पक्ष रखा।