बिजली कर्मचारियों का Privatization के खिलाफ विरोध तेज, 9 जुलाई को संभावित आंदोलन की चेतावनी

Varanasi : पूर्वांचल में बिजलीकर्मियों का निजीकरण (Privatization) के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है। शनिवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर वाराणसी में सैकड़ों बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाया और Privatization की प्रक्रिया, वेतन न रोके जाने, पुराने समझौतों को लागू करने की मांग को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। वहीं 9 जुलाई को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल और उसके बाद संभावित बड़े आंदोलन की तैयारी भी की जा रही है।

मुख्य अभियंता से हुई वार्ता, वेतन नहीं मिला तो आंदोलन की चेतावनी

वाराणसी क्षेत्र प्रथम के मुख्य अभियंता से संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की वार्ता हुई। इसमें समिति ने ऊर्जा प्रबंधन से पुराने समझौतों को लागू करने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि 9 जुलाई तक उन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला, जिन्होंने ड्यूटी ऑवर से अधिक समय तक काम किया है, तो वे प्रबंध निदेशक कार्यालय या पूर्वांचल क्षेत्र में आंदोलन को बाध्य होंगे।

समिति ने वेतन रोके जाने की निंदा करते हुए कहा कि यह उस महीने का वेतन है, जिसमें कर्मचारियों ने भीषण गर्मी में घंटों अधिक काम कर विद्युत आपूर्ति सुचारू रखी। इससे न केवल लोन की किस्तें प्रभावित हो रही हैं, बल्कि कर्मचारियों में भारी रोष भी उत्पन्न हुआ है।

Privatization
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जेल भरो आंदोलन की तैयारी, पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन

विरोध दिवस के तहत इंजीनियरों, तकनीशियनों और संविदा कर्मियों ने विभिन्न परियोजनाओं व कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने “जेल भरो आंदोलन” के लिए स्वेच्छा से नामांकन भी शुरू कर दिया है।

संघर्ष समिति ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि सरकार मानती है कि Privatization के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का प्रबंधन बेहतर होगा, तो यह पिछले 22 वर्षों से ऊर्जा निगमों का नेतृत्व कर रहे IAS अधिकारियों की विफलता की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति है।

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निजीकरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप

संघर्ष समिति ने Privatization प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से भरपूर बताते हुए कहा कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की गई। मेसर्स ग्रांट थॉर्टन, जिसने अमेरिका में पेनल्टी स्वीकार की है, को नियुक्त किया गया। निदेशक वित्त निधि नारंग पर निजी कंपनियों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए समिति ने कहा कि उन्हें तीन बार सेवा विस्तार देकर आरएफपी तैयार कराया गया, जिसे नियामक आयोग ने आपत्तियों सहित वापस कर दिया।

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मुख्य अभियंता ई. राकेश पांडेय की उपस्थिति में हुई वार्ता में संघर्ष समिति की ओर से ई. मायाशंकर तिवारी, ई. एस.के. सिंह, ई. नीरज बिंद, अंकुर पांडेय, जमुना पाल, रामकुमार झा, उदयभान दुबे, रवि चौरसिया, प्रमोद कुमार और मनोज यादव शामिल रहे।

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