नई दिल्ली I कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए EPF ब्याज दर को 8.25% पर बरकरार रखने का फैसला किया। इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में ब्याज दर 8.15% से बढ़ाकर 8.25% की गई थी, जबकि 2022-23 में यह 8.10% से बढ़कर 8.15% थी।
PF अकाउंट में कैसे जमा होती है राशि?
EPFO एक्ट के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12% PF अकाउंट में जमा होता है। इसके साथ ही नियोक्ता कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12% योगदान देती है। कंपनी के इस 12% में से 3.67% पीएफ अकाउंट में और 8.33% पेंशन स्कीम में जाता है। कर्मचारी का पूरा 12% हिस्सा सीधे पीएफ अकाउंट में जमा होता है।
पिछले वर्षों में कैसी रही ब्याज दर?
EPFO ने 2021-22 के लिए ब्याज दर को घटाकर 8.1% कर दिया था, जो चार दशकों में सबसे निचला स्तर था। 2020-21 में यह दर 8.5% थी, जो 1977-78 के बाद सबसे कम 8% थी। 2019-20 में ब्याज दर 8.5% थी, जो 2018-19 के 8.65% से कम थी। 2016-17 में 8.65%, 2017-18 में 8.55%, और 2015-16 में 8.8% ब्याज दर थी। 2013-14 और 2014-15 में 8.75%, 2012-13 में 8.5%, और 2011-12 में 8.25% ब्याज दर थी।
EPF से जुड़ी खास बातें
- ब्याज दर हर साल तय की जाती है और सरकार की मंजूरी के बाद खातों में जमा होती है।
- EPF को सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है।
- बैलेंस चेक करने के लिए UMANG ऐप या ईपीएफओ की वेबसाइट का उपयोग किया जा सकता है।
कैसे तय होती है ब्याज दर?
EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ब्याज दर तय करती है, जिसे वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद लागू किया जाता है।
ब्याज दर में कमी का असर
पिछले कुछ वर्षों में ब्याज दर में कमी से कर्मचारियों की रिटायरमेंट बचत पर रिटर्न प्रभावित हुआ है। EPF एक दीर्घकालिक बचत योजना है, जिसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों योगदान देते हैं, लेकिन कम ब्याज दर से रिटर्न पर असर पड़ता है।
