नई दिल्ली। काश पटेल ने शनिवार को भगवद गीता पर हाथ रखकर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के नौवें निदेशक के रूप में शपथ ली। इस ऐतिहासिक पल के साथ ही वह एफबीआई का नेतृत्व करने वाले पहले हिंदू-भारतीय और एशियाई मूल के व्यक्ति बन गए हैं। उनके इस पदभार ग्रहण करने के बीच राम मंदिर पर दिए गए उनके बयान भी सुर्खियों में हैं, जिसमें उन्होंने पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग की कड़ी आलोचना की थी।
काश पटेल ने राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई कवरेज पर असंतोष जताया था। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन को बढ़ते “हिंदू राष्ट्रवाद” के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया, जबकि 500 साल पुराने ऐतिहासिक संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया गया।
पटेल ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए, तब वाशिंगटन के सभी प्रमुख अखबारों ने केवल बाबरी मस्जिद विध्वंस के 50 साल के इतिहास पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन 1500 में वहां मौजूद हिंदू मंदिर के विध्वंस और 500 वर्षों से चले आ रहे संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया ने 500 साल पुराने इतिहास के बजाय 50 साल पुराने इतिहास को दिखाया।
उन्होंने अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टिंग को एक “गलत सूचना अभियान” करार दिया और कहा कि वाशिंगटन की सत्ता ने इस ऐतिहासिक पहलू को पूरी तरह से भुला दिया। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के कुछ राजनीतिक तबके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समान विचारधारा का मानते हैं और इसी कारण उनके खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया जा रहा है।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान काश पटेल ने अपने भारतीय मूल और अप्रवासी पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह “अमेरिकी सपना जी रहे हैं।” उन्होंने कहा कि एक अप्रवासी का बेटा आज एफबीआई का निदेशक बनना, अमेरिका में अवसरों की समानता को दर्शाता है।
गुजरात में जन्मे काश पटेल के परिवार ने जातीय दमन से बचने के लिए युगांडा से कनाडा और फिर अमेरिका प्रवास किया था। उनके एफबीआई निदेशक बनने को भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह उनकी मेहनत और अमेरिका में अप्रवासियों को मिलने वाले अवसरों का प्रतीक है।
काश पटेल के एफबीआई निदेशक बनने पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय में उत्साह है। अमेरिका और भारत दोनों में इस उपलब्धि को अप्रवासी भारतीयों की बढ़ती साख के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, राम मंदिर को लेकर उनके बेबाक बयानों के चलते वह भारतीय राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।