FDI: विदेशी निवेशकों की भारत सरकार से कुछ उम्मीदें

मिथिलेश कुमार पाण्डेय

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विदेशी निवेशक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के नियमों में परस्पर विनिमेयता ( Interchangeability) चाहते हैं:

विदेशी निवेशक सरकार और वित्तीय बाज़ार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से चाहते हैं कि उन नियमों पर पुनर्विचार किया जाय जो कि विदेशी निवेशकों को एक ही कंपनी में FDI और FPI दोनों स्थिति में साथ-साथ रहने से वंचित करता है।


वर्तमान प्रावधानों के अनुसार

1. विदेशी निवेशक किसी एक कंपनी में चाहे तो FDI या FPI कर सकता है, दोनों नहीं। अतः FDI निवेशक कंपनी के IPO में भागीदारी नहीं कर सकता है।

2. FPI के रूप में निवेशक की होल्डिंग 10% से ज्यादा नहीं हो सकती है। जैसे ही निवेश 10% से ज्यादा होगा तो यह FDI के रूप में बदल जायेगा।


इन प्रावधानों की वजह से उन निवेशकों को परेशानी होती है जो कि किसी स्टार्टअप में FDI की तरह निवेश करते हैं परन्तु जब वही कंपनी लिस्टिंग के लिए जाती है तो FDI निवेशक उसका शेयर नहीं खरीद सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक FDI और FPI को दो अलग अलग एक दूसरे से भिन्न प्रक्रिया मनाता है क्योंकि इन दोनों का उद्देश्य व स्वरुप एक दुसरे से सर्वथा भिन्न हैं।


विदेशी निवेश के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा निर्देश के प्रावधान 2.9.3 के अनुसार विदेशी निवेशक चाहे तो FDI या FPI के रूप में ही निवेश कर सकता है। ध्यान देने योग्य बात है कि यदि किसी निवेशक ने FPI के रास्ते किसी कंपनी का शेयर ख़रीदा है और वह चाहता कि उसकी होल्डिंग 10% से ज्यादा हो तो वह ऐसा कर सकता है और ऐसी स्थिति में उसका निवेश FDI माना जायेगा, लेकिन FDI वाला FPI के तहत शेयर नहीं खरीद सकता है।


आईये FDI और FPI के अंतर को समझने की कोशिश करते हैं :

FDI व्यक्ति या फर्म द्वारा दूसरे देश के व्यापार में निवेश या अधिग्रहण है जबकि व्यक्ति या फर्म द्वारा दूसरे देश की कंपनी की प्रतिभूति या वित्तीय सम्पति में निवेश FPI है।FDI दीर्घकालिक निवेश होता है, जबकि ज्यादातर FPI अल्पकालिक निवेश होता है, जिसका उद्देश्य पूंजी वर्धन होता है।


FDI निवेशक का निवेशित कंपनी के प्रबंधन, कार्य संचालन आदि पर सीधा नियंत्रण हो सकता है जबकि FPI निवेशक का निवेशित कंपनी पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है।

FDI में पूंजी, दक्षता, तकनीक आदि का हस्तानान्तरण होता है जबकि FPI में इस तरह के हस्तानान्तरण की जरूरत नहीं होती है।

FDI निवेश का आर्थिक प्रभाव होता है क्योंकि निवेशित देश में रोजगार सृजन, आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नयन आदि दृष्टिगत होता है जबकि FPI निवेश का सीधा असर बाज़ार पर पड़ता है क्योंकि यह स्टॉक मार्केट और मुद्रा विनिमय दर को तत्काल प्रभावित करता है।


(लेखक पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं आर्थिक विश्लेषक हैं )

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