गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने किया राष्ट्र के विकास और सांस्कृतिक विरासत का गौरवपूर्ण उल्लेख

नई दिल्ली। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने शनिवार को राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संदेश में उन्होंने सभी नागरिकों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई दी और देश की प्रगति, सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रपति ने संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आज से 75 वर्ष पूर्व 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जो हमारे गणराज्य की आधारशिला है। उन्होंने संविधान सभा में देश के विभिन्न हिस्सों और समुदायों के साथ 15 असाधारण महिलाओं के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास में समुचित महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे किसान भाई-बहनों ने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है। वहीं, हमारे मजदूरों ने इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बदलकर रख दिया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था आज वैश्विक मंच पर प्रभाव डाल रही है।

आर्थिक विकास का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में देश की आर्थिक विकास दर ऊंचाई पर रही है। उन्होंने डिजिटल भुगतान और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) को समावेशन और पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया।

राष्ट्रपति ने प्रयागराज महाकुंभ को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्ति बताते हुए कहा कि हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने के लिए कई उत्साहजनक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सफलता की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में ISRO ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिससे भारत विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह तकनीक उपलब्ध है।

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अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति ने देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों, पुलिस बल, न्यायपालिका और सिविल सेवाओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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