काशी के पवित्र घाटों में से एक गणेश घाट धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह घाट भगवान गणेश को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता और बुद्धि प्रदायक देवता माने जाते हैं। काशी , जिसे मोक्ष नगरी कहा जाता है, में गणेश घाट का विशेष महत्व है क्योंकि यह आध्यात्मिक साधना और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :-
गणेश घाट का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और काशी के ऐतिहासिक अभिलेखों में मिलता है। यह घाट मध्यकालीन भारत के दौरान निर्मित किया गया था और इसका जीर्णोद्धार कई बार किया गया। ऐसा माना जाता है कि यह घाट मराठा शासन के दौरान और अधिक समृद्ध हुआ, जब कई दक्षिण भारतीय संत और विद्वान वाराणसी में आकर बसे थे।
काशी खंड के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा वाराणसी में अत्यंत प्राचीन काल से होती आ रही है। गणेश घाट पर स्थित गणपति मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है, जहां भक्त गणेश चतुर्थी और अन्य शुभ अवसरों पर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

गणेश घाट का प्रमुख धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भगवान गणेश की विशेष पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर भक्तगण किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति वंदना के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ व्यक्त करते हैं। यह घाट मोक्ष प्राप्ति और गणेश उपासना के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
आज गणेश घाट काशी के प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों में से एक है। घाट पर भक्तों और पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। काशी प्रशासन द्वारा घाट की स्वच्छता और सौंदर्यीकरण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे यह स्थान और भी आकर्षक बन गया है।

गणेश घाट काशी की आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह घाट काशी की पवित्रता, आस्था और सनातन संस्कृति का प्रतीक है।
