गंगा महोत्सव में काशी की सांस्कृतिक विरासत का जादू,तीन पीढ़ियों के मिश्र परिवार ने सितार के सुरों से बांधा समां

वाराणसी। गंगा महोत्सव की तीसरी शाम बनारस घराने के प्रसिद्ध सितार वादकों की अद्वितीय प्रस्तुति का गवाह बनी। बनारस घराने के दिग्गज पद्मश्री पंडित शिवनाथ मिश्र, उनके बेटे पंडित देवब्रत मिश्र और पोते कृष्णा मिश्र ने एक साथ मंच साझा करते हुए संगीत प्रेमियों को भावविभोर कर दिया।

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कार्यक्रम की शुरुआत में मिश्र परिवार ने राग किरवानी में मध्यम लय की रूपक ताल और द्रुत लय की तीन ताल का संयोजन प्रस्तुत किया, जिसने घाट पर उपस्थित श्रोताओं को संगीतमय आनंद में डुबो दिया। इसके बाद मिश्रधनी राग में दादरा धुन सुनाकर उन्होंने बनारस की विशिष्ट संगीत परंपरा को जीवंत कर दिया, जिसे दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहा।

गंगा महोत्सव में काशी की सांस्कृतिक विरासत का जादू,तीन पीढ़ियों के मिश्र परिवार ने सितार के सुरों से बांधा समां गंगा महोत्सव में काशी की सांस्कृतिक विरासत का जादू,तीन पीढ़ियों के मिश्र परिवार ने सितार के सुरों से बांधा समां

मिश्र परिवार की इस प्रस्तुति को तबले पर प्रशांत मिश्र का साथ मिला, जिन्होंने तालों की समरसता से पूरे माहौल को और भी जीवंत कर दिया। संगीत प्रेमियों के अनुसार, इस तीन पीढ़ियों के संगम ने बनारस की मिट्टी के सुरों और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनकर दर्शकों का दिल जीत लिया।

गंगा महोत्सव में आई लाखों की भीड़ ने इस अनूठे संगीत संयोग का भरपूर आनंद लिया, जो काशी की सांस्कृतिक और संगीतमय धरोहर की एक अद्वितीय झलक पेश कर गया।

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