Hanuman Janmotsav 2025 : भारत में भगवान हनुमान जी के कई प्राचीन और दिव्य मंदिर हैं, जहां उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित एक ऐसा मंदिर है जो बाकी सभी मंदिरों से एकदम अलग है। इस मंदिर में बजरंगबली को वानर नहीं बल्कि गिलहरी स्वरूप में पूजा जाता है। यह मंदिर दूर-दूर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, तो आइए जानते हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025) के पावन अवसर पर जानते है इस मंदिर की पैराणिक कथा…
Hanuman Janmotsav 2025 : कहां स्थित है यह अद्वितीय मंदिर?
यह विशेष मंदिर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में अचल सरोवर के किनारे स्थित है और इसे गिलहराज हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की ख्याति केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैली है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह एकमात्र स्थान है जहां हनुमान जी की पूजा गिलहरी के रूप में की जाती है।
इस मंदिर की खोज सिद्ध संत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने की थी। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के भाई बलराम (दाऊ जी) ने भी इसी स्थान पर तपस्या की थी।
मंदिर की स्थापना की पौराणिक कथा
कहते हैं कि एक रात्रि योगी महेंद्रनाथ जी को स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए। स्वप्न में बजरंगबली ने उनसे कहा कि वे अचल ताल के निकट निवास करते हैं और उन्हें वहां पूजा जाए। जब उनके शिष्यों ने निर्देशित स्थान पर जाकर देखा तो उन्हें मिट्टी के टीले पर कई गिलहरियां खेलती नजर आईं। जब उस स्थान की खुदाई की गई, तो एक दिव्य मूर्ति प्राप्त हुई, जिसे मंदिर में विधिपूर्वक स्थापित किया गया। यह मंदिर नाथ संप्रदाय के एक प्रमुख संत के प्रयासों से स्थापित हुआ था।

दिन में चढ़ते हैं 50 तक चोले, होती है लगातार पूजा
अन्य हनुमान मंदिरों में जहां प्रतिदिन एक ही बार चोला चढ़ाया जाता है, वहीं गिलहराज हनुमान मंदिर में दिनभर में 40 से 50 बार चोला अर्पित किया जाता है। यहां हर 20 से 25 मिनट पर नया श्रृंगार और आरती होती है। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि यहां हनुमान जी की आंखें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं, जो भक्तों को अद्भुत अनुभूति देती हैं।
भक्तों के सारे कष्ट करता है दूर
यह मंदिर न केवल अद्वितीय है, बल्कि आस्था का गहरा केंद्र भी है। मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु यहां लगातार 41 दिन तक पूजा करता है, तो उसके जीवन के सारे संकट और दुख समाप्त हो जाते हैं। यहां शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है।
हनुमान जयंती (Hanuman Janmotsav 2025) और प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग यहां लड्डू का भोग लगाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।