वाराणसी। जनपद में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को इस बीमारी से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 4 नवम्बर से 12 नवम्बर तक नाइट ब्लड सर्वे का आयोजन किया। इस सर्वे के दौरान शहरी क्षेत्र जैतपुरा में ईश्वरगंगी पोखरा और लोहटिया, तथा ग्रामीण क्षेत्र चोलापुर में मुनारी और जगदीशपुर में रक्त नमूने एकत्र किए गए। चोलापुर के जगदीशपुर में 302, मुनारी में 306, जैतपुरा के ईश्वरगंगी में 301 और लोहटिया में 302 रक्त नमूने संग्रहित किए गए।

जांच में यदि 1% से अधिक माइक्रो फाइलेरिया की उपस्थिति पाई जाती है, तो संबंधित क्षेत्र में पुनः आइडीए अभियान चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत उस क्षेत्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र में फाइलेरिया के प्रसार की दर का आकलन करना है। पिछले तीन वर्षों में सफलतापूर्वक तीन एमडीए/आइडीए अभियान चलाए जा चुके हैं, और अब टास-1 (ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे) पूरा कर लिया गया है।
फाइलेरिया संक्रमण की पहचान के लिए रात में रक्त के नमूने एकत्र किए जाते हैं, और संक्रमित पाए जाने पर मरीजों का नि:शुल्क इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने दी।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का संक्रमण क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है और रात में फाइलेरिया के परजीवी अधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए रात के समय ही नमूने एकत्र किए जाते हैं। हर साल एक बार राष्ट्रीय स्तर पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया संक्रमितों की पहचान की जाती है, और दवा के सेवन से इस रोग को समाप्त किया जा सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पाण्डेय ने बताया कि जैतपुरा और चोलापुर की 33 में से दो योजना इकाइयों में माइक्रो फाइलेरिया की दर 1% से अधिक है, जिसके कारण इन क्षेत्रों में पुनः आइडीए कार्यक्रम संचालित किया गया। इसको गंभीरता से लेते हुए 4 से 12 नवम्बर तक इन स्थानों पर नाइट ब्लड सर्वे किया गया। वर्तमान में जनपद में 997 फाइलेरिया मरीज पंजीकृत हैं।

फाइलेरिया इकाई प्रभारी और बायोलॉजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे में माइक्रोफाइलेरिया दर 1% से कम आने पर नए मरीजों के मिलने और रोग के प्रसार की संभावना नहीं रहती, जो फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है।