वाराणसी। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ, प्रो. वासुदेव सिंह स्मृति न्यास और महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को ‘‘हिन्दी साहित्य के संवर्धन में पंजाबी रचनाकारों का योगदान’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम डॉ. भगवानदास केन्द्रीय पुस्तकालय के समिति कक्ष में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने की।

प्रो. त्यागी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत की संस्कृति और साहित्य का संवर्धन पंजाब की धरती से हुआ है। उन्होंने बताया कि देश में हुए सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों में पंजाब का योगदान हमेशा अग्रणी रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि प्रसिद्ध भजन ‘ओम जय जगदीश हरे’ पंजाबी रचनाकार पंडित सिद्धराम फिल्लौरी की रचना है। उन्होंने कहा कि पंजाबी साहित्यकारों ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है और यह योगदान हिन्दी साहित्यकारों के लिए प्रेरणादायक है।

मुख्य अतिथि, छपरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि साहित्य को व्यक्तिगत और सामूहिक हित में रचना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाबी साहित्यकारों ने हिन्दी साहित्य को नई दिशा दी है। मुख्य वक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. पवन कुमार अग्रवाल ने साहित्य और समाज के अंतर्संबंधों पर चर्चा की। विशिष्ट अतिथि, बीएचयू के भारत कला भवन की प्रो. जसमिंदर कौर ने पंजाबी और हिन्दी साहित्य में गहरे संबंधों को रेखांकित किया। इस अवसर पर यूजीसी केयर लिस्टेड शोध पत्रिका ‘नमन’ का अतिथियों द्वारा विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त, और प्रो. वासुदेव सिंह के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। संगोष्ठी का स्वागत भाषण पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह ने दिया। संचालन प्रो. राम सुधार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आचार्य नरेन्द्र सिंह एवं डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ने किया।
इस अवसर पर डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. रामाश्रय, डॉ. संतोष कुमार मिश्र, डॉ. नागेंद्र पाठक, डॉ. शिवजी सिंह, डॉ. प्रभा शंकर मिश्र सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
