मानवाधिकार दिवस पर काशी विद्यापीठ में संगोष्ठी, गांधीजी के योगदान पर चर्चा

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समाज कार्य संकाय में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मानवाधिकारों के ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं पर चर्चा की गई।

मुख्य अतिथि और मैप्सवी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामप्रकाश द्विवेदी ने महात्मा गांधी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधीजी ने न केवल भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि सामाजिक असमानता, अश्पृश्यता और आर्थिक विषमता के खिलाफ भी संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि गांधीजी की विचारधारा भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों का आधार बनी।

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एशियन ब्रिज के निदेशक मो. मूसा आजमी ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों को बाधित करने का कोई भी प्रयास वैश्विक मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है। प्रो. अनिल कुमार चौधरी ने मानवाधिकारों की ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की।

प्रो. शैला परवीन ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं, विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एम. वर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को पारित मानवाधिकारों की घोषणा को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दस्तावेज गरिमापूर्ण जीवन और सर्वांगीण विकास का अधिकार सुनिश्चित करता है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. भावना वर्मा ने दिया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया।

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