IIT BHU में कर्मचारियों का हंगामा: पदोन्नति, परीक्षा और आवास को लेकर प्रशासन पर पक्षपात का आरोप, धरना प्रदर्शन

Varanasi : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT BHU) में तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों के बीच पदोन्नति प्रक्रिया, हाईस्कूल स्तर की अनिवार्य परीक्षा, आवास की कमी और कर्मचारी यूनियन के गठन न होने को लेकर गहरा असंतोष व्याप्त है। कर्मचारियों ने प्रशासन पर पक्षपात, अनदेखी और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। गैर-शैक्षणिक कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले 9 जून को 150 से अधिक कर्मचारियों ने निदेशक कार्यालय के बाहर धरना दिया, जिसे कार्यवाहक निदेशक के आश्वासन के बाद स्थगित किया गया।

मुख्य मुद्दे और कर्मचारियों की शिकायतें

  1. हाईस्कूल स्तर की अनिवार्य परीक्षा
    • प्रशासन का फैसला: 2 जून 2025 को एक ईमेल के माध्यम से कर्मचारियों को सूचित किया गया कि पदोन्नति के लिए 20 जून को शाम 4 बजे हाईस्कूल स्तर की लिखित परीक्षा अनिवार्य होगी।
    • कर्मचारियों का विरोध: कर्मचारियों का कहना है कि नियुक्ति के समय ITI और जूनियर हाईस्कूल की योग्यता पर्याप्त थी। दशकों तक सेवा देने के बाद, विशेषकर रिटायरमेंट के नजदीक, हाईस्कूल परीक्षा का औचित्य समझ से परे है। जून 2025 में रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए यह प्रक्रिया अन्यायपूर्ण मानी जा रही है।
    • प्रदर्शन: 9 जून को कर्मचारियों ने इस परीक्षा के बहिष्कार की माँग के साथ धरना दिया। गैर-शैक्षणिक कर्मचारी संघर्ष समिति ने इसे कर्मचारियों के आत्मसम्मान पर हमला बताया।
  2. पदोन्नति में अनियमितताएँ
    • मदन कुमार का मामला: 41 वर्षों तक सेवा देने वाले वरिष्ठ कर्मचारी मदन कुमार को इंटरव्यू में अयोग्य घोषित किया गया, जबकि उनके 20 साल जूनियर कर्मचारी को पदोन्नत किया गया। उनकी शिकायतों को अनदेखा करने पर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी।
    • मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों की शिकायत: 2014-2016 बैच के मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों को शत-प्रतिशत पदोन्नति दी गई, लेकिन 2017 बैच के लिए आयोजित परीक्षा में जानबूझकर त्रुटियाँ की गईं। हिंदी राजभाषा के प्रश्न अंग्रेजी में पूछे गए, जिससे कई कर्मचारी फेल हो गए। इससे वरिष्ठता क्रम में विसंगति उत्पन्न हुई और कर्मचारियों को मानसिक व आर्थिक नुकसान हुआ।
    • आरोप: कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन ने कुछ कर्मचारियों को जानबूझकर निशाना बनाया, जिससे पक्षपात और भेदभाव का माहौल बना।
  3. आवास की कमी
    • कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि 29 जून 2012 को IIT BHU के गठन के बाद से एक भी नया आवास नहीं बनाया गया। यह संस्थान के नियमों और कर्मचारी कल्याण नीतियों का उल्लंघन है।
    • वर्तमान में कई कर्मचारियों को कैंपस के बाहर निजी आवास किराए पर लेने पड़ रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ पड़ रहा है।
  4. कर्मचारी यूनियन का गठन न होना
    • कर्मचारियों ने दावा किया कि IIT BHU में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए स्थायी यूनियन का गठन नहीं हुआ है, जो उनकी शिकायतों को औपचारिक रूप से उठाने का एकमात्र मंच होता।
    • यह स्थिति कर्मचारियों को संगठित होने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से वंचित कर रही है, जो केंद्र सरकार के नियमों के खिलाफ है।
IIT BHU में कर्मचारियों का हंगामा: पदोन्नति, परीक्षा और आवास को लेकर प्रशासन पर पक्षपात का आरोप, धरना प्रदर्शन IIT BHU में कर्मचारियों का हंगामा: पदोन्नति, परीक्षा और आवास को लेकर प्रशासन पर पक्षपात का आरोप, धरना प्रदर्शन

कर्मचारियों की माँगें

  • हाईस्कूल स्तर की परीक्षा को तत्काल रद्द किया जाए।
  • तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए।
  • वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर सभी कर्मचारियों का अपग्रेडेशन हो।
  • कैंपस में नए आवासों का निर्माण जल्द शुरू किया जाए।
  • गैर-शैक्षिक कर्मचारियों के लिए स्थायी यूनियन का गठन हो।
  • 2017 बैच की त्रुटिपूर्ण परीक्षा की जाँच कर प्रभावित कर्मचारियों को न्याय दिया जाए।

प्रशासन का रुख

  • आश्वासन: 9 जून के धरने के बाद कार्यवाहक निदेशक ने कर्मचारियों को उनकी शिकायतों पर विचार करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद धरना स्थगित हुआ।
  • पिछले प्रयास: IIT BHU प्रशासन ने समय-समय पर गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की भर्ती और पदोन्नति के लिए विज्ञापन जारी किए हैं। हालाँकि, कर्मचारियों का कहना है कि ये प्रयास अपर्याप्त और पक्षपातपूर्ण रहे हैं।
  • पदोन्नति नीति: प्रशासन का तर्क है कि हाईस्कूल परीक्षा योग्यता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है, लेकिन कर्मचारियों ने इसे अव्यावहारिक और अपमानजनक बताया।
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IIT BHU में तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों का असंतोष गंभीर मुद्दा है, जो न केवल कर्मचारी कल्याण, बल्कि संस्थान की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है। प्रशासन को पक्षपात के आरोपों, हाईस्कूल परीक्षा की अनिवार्यता, आवास की कमी और यूनियन गठन जैसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

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