वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (का.हि.वि.) वाराणसी के स्कूल ऑफ बायोकैमिकल इंजीनियरिंग की पीएचडी छात्रा दिव्या को गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी नवाचार पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें 5 नवंबर को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर भारतीय सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद और अन्य प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें CSIR के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.ए. मसेलकर, DBT की पूर्व सचिव डॉ. रेनू स्वरूप और AICTE के अध्यक्ष प्रोफेसर टी.जी. सितारम शामिल थे।
यह प्रतिष्ठित पुरस्कार SRISTI और हनी-बी नेटवर्क द्वारा प्रदान किया जाता है, जो स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए स्थायी और सस्ती प्रौद्योगिकियों को पहचानता है। दिव्या के विकसित किए गए पेपर माइक्रो डिवाइस ने किडनी स्वास्थ्य के निदान में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिससे यह डिवाइस निम्न संसाधन वाले क्षेत्रों में अधिक सुलभ और किफायती समाधान प्रदान करने में सक्षम है।
प्रोफेसर प्रांजल चंद्रा, जिन्होंने दिव्या के साथ इस नवाचार को विकसित करने में मार्गदर्शन किया है कहा दिव्या का काम यह दर्शाता है कि युवा नवप्रवर्तक किस प्रकार वैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग कर असली दुनिया की चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। यह पुरस्कार उनकी मेहनत और आईआईटी बीएचयू में हो रहे शोध की क्षमता को दर्शाता है। गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी नवाचार पुरस्कार नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक उच्च मान्यता है और दिव्या की उपलब्धि आईआईटी बीएचयू के शोध और नवाचार क्षेत्र में नेतृत्व को और मजबूत करती है।
दिव्या जो कि प्रधानमंत्री शोध फेलो भी हैं इस डिवाइस के विकास में कई महीने लगाए। यह सस्ता और सरल उपकरण किडनी रोग के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिससे लाखों लोगों के लिए इसका निदान और उपचार अधिक सुलभ हो सकेगा, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य संसाधनों की कमी है।