नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुए समझौते के बाद अब देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे की ओर से पद खाली करने और बुनियादी ढांचे को हटाने का सत्यापन कर रही हैं।
दोनों देशों का समझौता केवल देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में ही लागू होगा और अन्य विवादित क्षेत्रों पर प्रभावी नहीं है। दोनों पक्षों के सैनिक अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे और पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में गश्त करेंगे। यह प्रक्रिया 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच हुई बैठक के बाद शुरू हुई थी, जिसमें गश्त व्यवस्था पर समझौता किया गया था। इस समझौते को गलवान घाटी में जून 2020 की झड़प के बाद के तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 23 अक्टूबर को बयान दिया था कि भारत-चीन सीमा पर स्थिरता के लिए एक-दूसरे के प्रति विश्वास बहाली आवश्यक है।