नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए गुरुवार को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत दो उपग्रहों की सफलतापूर्वक डॉकिंग कराई। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
मिशन की सफलता और ऐतिहासिक उपलब्धि
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। स्पेडेक्स मिशन की ऐतिहासिक सफलता का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।” इस मिशन के तहत उपग्रह चेजर (एसडीएक्स01) और टारगेट (एसडीएक्स02) को तीन मीटर की दूरी पर लाकर सफलतापूर्वक डॉक किया गया।
डॉकिंग प्रक्रिया क्यों है अहम?
डॉकिंग प्रक्रिया अंतरिक्ष में तब उपयोगी होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई यान या मॉड्यूल को जोड़ने की आवश्यकता होती है। इस तकनीक का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, उपग्रहों की मरम्मत, ईंधन भरने और मलबा हटाने जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
मिशन के मुख्य लाभ:
- अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना: भारत की योजना 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। यह मिशन उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- मानव अंतरिक्ष उड़ानों में मदद: चंद्रयान-4 जैसे मानव मिशनों के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित होगी।
- भविष्य के भारी मिशन: डॉकिंग तकनीक के माध्यम से बड़े अंतरिक्ष यान और उपकरणों को एक साथ लाने में मदद मिलेगी।
मिशन का भविष्य
इसरो के अनुसार, यह मिशन 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। अंतरिक्ष विज्ञान में यह उपलब्धि भारत को विश्व के अग्रणी देशों के क्लब में और मजबूती से स्थापित करती है।