नई दिल्ली I पहलगाम आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान-समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया और कड़े जवाबी कदम उठाए, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई। लेकिन आखिर पाकिस्तान ने ऐसा किया क्यों ? भारत की सैन्य ताकत और वैश्विक समर्थन के सामने पाकिस्तान की कमजोरियां और साजिशें उजागर हो रही हैं। आइए इस संकट का विश्लेषण करें।

भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच संघर्ष, जो 1947 के विभाजन और कश्मीर विवाद से शुरू हुआ, एक बार फिर सुर्खियों में है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर हिंदू पर्यटक मारे गए जिसने भारत को आक्रामक जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर किया। भारत ने तकनीकी सबूतों, जैसे चेहरे की पहचान डेटा के आधार पर इस हमले को पाकिस्तान-समर्थित आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा माना जाता है उससे जोड़ा। पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन भारत ने इसे सीमा-पार आतंकवाद का स्पष्ट प्रमाण बताया।
पाकिस्तान ने ऐसा किया क्यों ?

पहलगाम हमले जैसे कदमों के पीछे पाकिस्तान के कई संभावित उद्देश्य और मजबूरियां हो सकती हैं, जो उसकी आंतरिक और बाहरी कमजोरियों को दर्शाते हैं:
आंतरिक अस्थिरता को छिपाना: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, जिसमें उच्च मुद्रास्फीति और कर्ज का बोझ शामिल है। इमरान खान की गिरफ्तारी और सैन्य-नागरिक तनाव ने देश को अंदर से कमजोर किया है। विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर में आतंकी हमलों को प्रायोजित करके पाकिस्तान अपनी जनता का ध्यान आंतरिक समस्याओं से हटाने की कोशिश कर रहा है।
सैन्य प्रभाव बनाए रखना: पाकिस्तानी सेना देश की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाती है। कश्मीर में तनाव बढ़ाकर सेना अपनी प्रासंगिकता और बजट को सही ठहराने की कोशिश करती है। पहलगाम हमले जैसे कदम सेना के भारत-विरोधी नैरेटिव को मजबूत करते हैं।
कश्मीर में अशांति फैलाना: पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में उग्रवाद को समर्थन देता रहा है, ताकि भारत को अस्थिर किया जा सके। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत में कश्मीर की स्थिति मजबूत हुई, जिसे कमजोर करने के लिए पाकिस्तान आतंकी समूहों का इस्तेमाल कर रहा है।

चीन के इशारे पर: कुछ विश्लेषक मानते हैं कि पाकिस्तान का करीबी सहयोगी चीन, जो भारत को क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी मानता है, कश्मीर में तनाव को बढ़ावा दे सकता है।
हाल ही में अमेरिका ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया जिसकी वजह से जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी अमेरिकी इंपोर्ट पर टैरिफ को बढ़ाकर ट्रंप के लेवल तक – 125% कर दिया I दोनों देशों ने एक-दूसरे के प्रोडक्ट्स पर 100% से ज्यादा का टैक्स लगाया है , जिससे लोकल मार्केट प्रभावित हो रहा है, जिसका सीधा फायदा भारत को मिल सकता था ये मुद्दा भी चीन के अंदर भारत को लेकर द्वेष का कारण हो सकता है I
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान भारत (India vs Pakistan) को व्यस्त रखना चाहता है।
वैश्विक ध्यान आकर्षित करना: पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता है। लेकिन उसकी आतंकवाद से जुड़ी छवि के कारण यह रणनीति ज्यादातर नाकाम रही है।
भारत ने इन साजिशों को बेनकाब करते हुए कहा कि पाकिस्तान की नीति आतंकवाद को पनाह देना और भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पाकिस्तान की कायराना हरकत करार दिया।
भारत की निर्णायक कार्रवाइयां

भारत ने पाकिस्तान की साजिशों का जवाब अपनी सैन्य, कूटनीतिक और तकनीकी ताकत से दिया:
राजनयिक कदम: भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया, अपने राजनयिकों को वापस बुलाया, वीजा निलंबित किए और अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी। इन कदमों ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर दिया।
आर्थिक दबाव: 1960 की इंडस वाटर्स ट्रीटी को निलंबित करना एक ऐतिहासिक कदम था, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है। भारत ने पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी प्रतिबंध लगाया।
सैन्य कार्रवाइयां: भारतीय सेना ने पहलगाम में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया, जिसमें 1,500 लोगों से पूछताछ की गई और संदिग्धों के घर ध्वस्त किए गए। आतंकियों का पीछा करने के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए गए।

युद्धाभ्यास: 24 अप्रैल से भारतीय नौसेना और वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों और राफेल जेट्स के साथ अभ्यास शुरू किया, जो सर्जिकल स्ट्राइक की क्षमता को दर्शा रहा है।
साइबर और अंतरिक्ष युद्ध: भारत ने पाकिस्तानी सैन्य नेटवर्क और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी ने उनके उपग्रह संचार को जाम किया।
मोदी ने कहा, भारत आतंकवाद को कुचल देगा, चाहे वह कहीं से भी आए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। नई दिल्ली में 100 से अधिक देशों के राजनयिकों को सबूत दिखाकर भारत ने वैश्विक समुदाय को अपने पक्ष में किया।
पाकिस्तान की कमजोर प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को खारिज किया, लेकिन उसकी प्रतिक्रियाएं कमजोर और रक्षात्मक हैं:
राजनयिक कदम: शिमला समझौता निलंबित करना, भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करना और व्यापार बंद करना। लेकिन ये कदम भारत के वैश्विक प्रभाव को कम नहीं कर सके।
सैन्य रुख: सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया और सीमा पर गोलीबारी की गई। लेकिन पाकिस्तान की घबराहट उसके स्कूलों और मदरसों को बंद करने से जाहिर होती है।

प्रचार: पाकिस्तान ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया लेकिन उसकी विश्वसनीयता आतंकवाद से जुड़ी छवि के कारण कमजोर है।
भारत के मजबूत सहयोगी

भारत की वैश्विक स्थिति उसे अभूतपूर्व समर्थन देती है:
संयुक्त राज्य अमेरिका: क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत यूएस भारत को एक उभरती शक्ति मानता है। अप्रैल 2025 में यूएस ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन किया और खुफिया जानकारी व सैन्य उपकरण देने की पेशकश की।
इजरायल: भारत को ड्रोन, मिसाइल रक्षा प्रणाली और आतंकवाद-निरोधी विशेषज्ञता प्रदान कर सकता है।
फ्रांस: राफेल जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बी सौदों के जरिए फ्रांस हथियार और राजनयिक समर्थन देगा।
जापान: क्वाड के माध्यम से राजनयिक और आर्थिक समर्थन देगा।
यूके और यूरोपीय संघ: आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे और पाकिस्तान पर प्रतिबंधों का समर्थन कर सकते हैं।
अफगानिस्तान: डूरंड लाइन विवाद के कारण सीमित समर्थन दे सकता है।
रूस का रुख अस्पष्ट है लेकिन भारत के साथ उसका रक्षा सहयोग उसे हथियार आपूर्ति के लिए प्रेरित कर सकता है। भारत का वैश्विक समर्थन उसकी कूटनीतिक जीत को दर्शाता है।
पाकिस्तान के सीमित सहयोगी

पाकिस्तान की आतंकवाद से जुड़ी छवि उसे अलग-थलग करती है:
चीन: सीपीईसी के जरिए चीन ने पाकिस्तान को मिसाइलें और सहायता दी लेकिन यह अपने हितों (ग्वादर बंदरगाह) तक सीमित हो सकता है।
तुर्की: कश्मीर पर समर्थन और युद्धपोत प्रदान किए लेकिन उसकी भूमिका सीमित है।
अजरबैजान: तुर्की के माध्यम से सीमित समर्थन दे सकता है।
ईरान: तटस्थ रहने की कोशिश करेगा लेकिन सीमित समर्थन दे सकता है।
सऊदी अरब और यूएई: तटस्थ रहेंगे, क्योंकि उनके भारत के साथ व्यापारिक हित हैं।
युद्ध में भारत की जीत की प्रबल संभावना

भारत की ताकत
सैन्य श्रेष्ठता: भारत की सेना (14 लाख सैनिक, 80 अरब डॉलर बजट) पाकिस्तान (6.5 लाख सैनिक, 10 अरब डॉलर) से कहीं बेहतर है। राफेल, एस-400, और ब्रह्मोस मिसाइलें भारत को बढ़त देती हैं।
रणनीति: कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत तेज हमलों के लिए है।
आर्थिक ताकत: 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था युद्ध को बनाए रख सकती है।
वैश्विक समर्थन: यूएस, इजरायल और फ्रांस भारत को मजबूत करते हैं।
पाकिस्तान की कमजोरियां

आर्थिक संकट: 340 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था लंबा युद्ध नहीं झेल सकती।
आंतरिक अस्थिरता: सैन्य-नागरिक तनाव और इमरान खान की गिरफ्तारी ने उसे कमजोर किया।
वैश्विक अलगाव: आतंकवाद से जुड़ी छवि के कारण प्रतिबंधों का खतरा।
सीमित संघर्ष: भारत सर्जिकल स्ट्राइक करेगा, जिसमें उसकी जीत निश्चित है।
पारंपरिक युद्ध: भारत प्रमुख शहरों या पीओके पर कब्जा कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय दबाव युद्धविराम कराएगा।
परमाणु युद्ध: नगण्य संभावना, क्योंकि भारत और वैश्विक शक्तियां इसे रोकेंगी।
प्रॉक्सी युद्ध: भारत की खुफिया क्षमता उग्रवाद को नियंत्रित कर सकती है।
भारत की एकता

मोदी ने ‘मन की बात’ में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का आह्वान किया। गृह मंत्री अमित शाह ने वीजा नियम सख्त किए। भारत की जनता और सेना एकजुट हैं।
पाकिस्तान की साजिशें उसकी कमजोरियों को उजागर करती हैं, जबकि भारत की सैन्य ताकत, वैश्विक समर्थन और एकता उसे अजेय बनाती है। सीमित या पूर्ण युद्ध में भारत की जीत निश्चित है। लेकिन स्थायी शांति के लिए कश्मीर विवाद का कूटनीतिक समाधान जरूरी है। भारत की सेना और जनता आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ी है, जो दुनिया को उसकी इच्छाशक्ति का संदेश देता है।