Indian Middle Class Consumer: मध्यवर्गीय उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव, EMI और डिजिटल लोन से बढ़ी महंगी चीज़ों की खरीदारी

उपभोक्ताओं (Consumer) की संख्या, उनकी प्राथमिकताएं, पसंद और खर्च करने की क्षमता किसी भी अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव डालता है या यूं कहें तो अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा निर्धारित करने में उपभोक्ताओं का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है l उपभोक्ताओं द्वारा खर्च की गई राशि अर्थव्यवस्था की धमनियों में रक्त संचार जैसा है जो कि इसके स्वास्थ्य के स्वरूप को स्थापित करता है l पूरी दुनिया में उपभोक्ताओं को उच्च आय, मध्य आय और निम्न आय वर्ग में विभाजित किया जाता है l

भारत में भी इसी तरह का वर्गीकरण किया गया है l परंपरागत रूप से देखा गया है कि उच्च आय वाले व्यक्ति की संख्या काम होती है, निम्न आय वालों के पास खर्च करने के लिए धन कम होता है l अतः मध्यवर्गीय उपभोक्ता (Consumer) देश की आर्थिक अवस्था में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं l भारत जैसे विकासशील देश में मध्य आय वाले उपभोक्ता और उनके खर्च करने की क्षमता तथा इसका स्वरूप अत्यंत आवश्यक हो जाता है l

अपने देश में आय की कोई आधिकारिक सीमा परिभाषित नहीं है जिसके आधार पर Consumer का वर्गीकरण किया गया हो फिर भी सामान्यतः 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये प्रति वर्ष की आय वाले लोगों को मध्य आय वाला माना जाता है l यह भी सच है कि समान आय वाले व्यक्तियों के पास विवेकशील खर्च के लिए धन उनके निवास स्थान, कार्य स्थल, पारिवारिक स्वास्थ्य, परिवार में सदस्यों की संख्या, अवस्था आदि के आधार पर निर्धारित होता है l महानगरीय, शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है l खैर, हमलोग इसकी विषद विवेचना को छोड़ते हुए अपने मूल विषय की ओर चलते हैं l

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में उपभोग में कमी आई है क्योंकि मध्य आय वर्ग के पास खर्च करने लिए तरलता की कमी है l हालांकि उपभोग के पैटर्न में एक विरोधाभाष दृष्टिगत होता है l FMCG की विक्री घटी है जबकि महंगे उपभोक्ता (Consumer) सामग्री जैसे जेवर, स्मार्ट फोन, इलेक्ट्रॉनिक समान, वाशिंग मशीन, AC, इंवर्टर, कार, मोटर साइकिल आदि की विक्री बढ़ी है l इस विरोधाभाष का कारण है कि लोगों के पास तरलता की कमी है l

EMI की सुविधा ने महंगे सामानों को खरीदना आसान बना दिया है l ऊपलब्ध आंकड़ों के अनुसार लगभग 75% से ज्यादा महंगे उपभोक्ता (Consumer) सामग्री EMI के सहारे ख़रीदे जा रहे हैं l पूरा पैसा नहीं होने के बावजूद भविष्य की आय के सहारे समान खरीदना आसान हो गया है l कुछ कंपनियां और खास कर के क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियां किश्तों मे भुगतान करने पर ग्राहकों को कुछ अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करती हैं l

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EMI के सहारे लोग महंगे सामानों की ओर आकर्षित हो रहे हैं l चाहे महंगी कारें हों या महंगे मोटरसाइकिल इन सबकी विक्री बढ़ी है l कारों में SUV की मांग सबसे ज्यादा है l लगभग 55% से ज्यादा SUV की हिस्सेदारी है l ऑटोमोबील कंपनियों द्वारा जारी किए गए मार्च 2024 और मार्च 2025 के आंकड़ों के अनुसार मारुति और ह्युंदई की विक्री में क्रमशः 1.3% और 2.2% की कमी आई है जबकि महंगे ब्रांड जैसे स्कोडा, टोयोटा, किया, महिंद्रा एण्ड महिंद्रा की विक्री में क्रमशः 164.7%, 13%, 19.3%, 18.3% की वृद्धि दर्ज की गई है l मोटरसाइकिल के क्षेत्र में रॉयल एनफील्ड ने 33.3% की वृद्धि बतायी है l

महंगे ब्रांड के आ जाने से मारुति कार की बाजार में हिस्सेदारी काफी कम हो गई है जिसे पुनः प्राप्त करने के लिए कंपनी योजना बना रही है l रियल एस्टेट के क्षेत्र में बड़े शहरों जैसे मुंबई, बेंगलुरू, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद आदि में सर्व सुविधा समपन्न बड़े आवास की मांग बढ़ी है l इंटरनेट की सुगमता, फिनटेक कंपनियों की अति क्रियाशीलता और क्रेडिट रेटिंग की उपलबद्धता ने एक ऐसा मंच तैयार किया है जहां से त्वरित ऋण वितरण आसान हो गया है l

Consumer को विभिन्न बैंक और कंपनियों के क्रेडिट कार्ड ने EMI की सुविधा देकर इस काम को और भी आसान बना दिया है l चालू वित्त वर्ष में आय कर मे दिए गए छूट के कारण मध्य आय वर्ग के लोगों के पास खर्च करने के लिए अतिरिक्त धन उपलबद्ध होगा जिससे थोड़ा ज्यादा EMI का बोझ भी उठाया जा सकेगा और ऐसी संभावना बतायी जा रही है कि उपरोक्त क्षेत्र में विक्री
बढ़ेगी l

FMCG के क्षेत्र में स्थिति सर्वथा भिन्न है जहां सभी उत्पादों में विक्री घट रही है, खास करके शहरी और महानगरीय इलाकों में l साबुन, शैम्पू, पर्फ्यूम, स्नैक्स या व्यक्तिगत रखरखाव के अन्य समान के मामले में उपभोक्ता (Consumer) छोटे पैक को पसंद कर रहे हैं ताकि वे अपने घरेलू बजट को संभाल सके l Cipla Health के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिवम पूरी अनुसार मध्य आय वर्ग के परिवारों में छोटे पैक का प्रचलन ज्यादा है l

DS Group के अधिकारियों का भी यही आकलन है l सभी बड़ी कंपनियां उपभोक्ताओं (Consumer) की पसंद के अनुसार अपनी उत्पादन और विपणन नीति को स्थापित करने में लगी हैं l अमेरिका द्वारा शुरू की गई टैरिफ युद्ध ने विश्व बाजार में हलचल और कौतूहलपूर्ण अनिश्चयता का माहौल बना दिया है l दुनिया में भूराजनीतिक और भूआर्थिक परिवर्तन की प्रबल संभावना बतायी जा रही है जिसका प्रभाव वैश्विक सप्लाइ चेन पर पड़ेगा और ज्यादातर देशों में महँगायी बढ़ सकती है और परिणामस्वरूप उपभोक्ता व्यवहार में भी बदलाव देखा जा सकता है l

दुनिया के विभिन्न देशों के अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञ संभावित ट्रैड वार के परिणामों के आकलन और इसके दुष्परिणामों से अपने अपने देशों को बचाने के उपाय ढूढ़ने के लिए जोरदार प्रयास में लगे हैं l प्रतिकूल परिणाम से वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो सकती है और प्रत्येक देशों में उपभोग प्रवृत्ति मे परिवर्तन अवश्यंभावी प्रतीत होता है l

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