वाशिंगटन। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक समूह के वाशिंगटन बैठक में 25 अक्टूबर 2024 को भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अन्तर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों को अपनी कार्य प्रणाली में सुधार लाने की सलाह दी है। वित्तमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की सार्वभौमिक रेटिंग करते समय उस देश की ऋण लौटने की क्षमता और तत्परता, पूंजी की लागत, निजी निवेश आकर्षित करने की क्षमता आदि विषयों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
किसी विकासशील देश की सार्वभौमिक रेटिंग उस देश की वास्तविक स्थिति को बताये। विशेषज्ञों की राय रही है कि रेटिंग एजेंसीयां गरीब और विकासशील देशों के प्रति भेदभाव वाले नजरिये से अपना काम करती हैं।
उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है कि स्टैण्डर्ड एंड पुअर, मूडीज और फिच ने भारत की सार्वभौमिक रेटिंग को निवेश के न्यूनतम स्तर पर रखा है जबकि 2021- 22 में भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है और विश्व बैंक के पूर्वानुमान के अनुसार 2025 -26 तक भारत की अर्थव्यवस्था की यही स्थिति बरक़रार रहेगी।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर को 7% और अगले वित्त वर्ष में 6.5% माना है जो कि विश्व के औसत के दुगने से ज्यादा है।
