पुतिन की भारत यात्रा पर चीन का बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका की बढ़ जाएगी बेचैनी!
पुतिन की भारत यात्रा पर चीन का बड़ा बयान, ड्रैगन की बात से अमेरिका की बढ़ जाएगी बेचैनी! रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा को लेकर चीन ने स्वागतयोग्य प्रतिक्रिया दी है। बीजिंग ने कहा कि भारत, चीन और रूस के बीच मजबूत त्रिपक्षीय संबंध न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता को भी मजबूती देते हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस-चीन संबंध पहले से बेहद मजबूत हैं और भारत-चीन रिश्तों में भी सुधार की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
विदेश मंत्रालय का बयान: ग्लोबल साउथ के तीन प्रमुख स्तंभ
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत, चीन और रूस उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं और ग्लोबल साउथ की मजबूत आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि तीनों देशों के बीच स्थायी सहयोग उनके हितों के साथ-साथ वैश्विक विकास और समृद्धि को भी आगे बढ़ाता है। गुओ ने कहा, त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करना सभी के हित में है और यह एशिया सहित पूरी दुनिया में स्थिरता बढ़ाने में सहायक होगा।
भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीद
पूर्वी लद्दाख में 2020 के तनाव के बाद ठंडे पड़े संबंधों पर चीन ने नरम रुख दिखाया है। गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग भारत के साथ संबंधों को ‘स्थिर, स्वस्थ और दीर्घकालिक’ दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें तो यह उनके नागरिकों के लिए लाभकारी साबित होगा।
पुतिन के बयान पर चीन की प्रतिक्रिया
भारत दौरे से पहले पुतिन ने भारत और चीन को रूस का “सबसे करीबी मित्र” बताया था और कहा था कि दोनों देश अपने आपसी मतभेद स्वयं सुलझाने में सक्षम हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि वह रूस और भारत—दोनों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध आगे बढ़ाने का इच्छुक है। चीनी मीडिया ने पुतिन के इन बयानों को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
पुतिन की यात्रा में हुए अहम समझौते
4–5 दिसंबर को पुतिन की भारत यात्रा के दौरान व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और निवेश से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया और दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को मंजूरी दी। चीन की यह प्रतिक्रिया साफ संकेत देती है कि एशिया की तीन बड़ी शक्तियां एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही हैं।
