IPL का अर्थशास्त्र : सर्वजन हिताए – सर्वजन सुखाय

मिथिलेश कुमार पाण्डेय (लेखक आर्थिक विश्लेषक एवं पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा हैं )

IPL: भारत में क्रिकेट के प्रति अप्रतिम दीवानगी है और ऐसा लगता है कि भारत के लिए क्रिकेट एक खेल न रहकर संस्कृति बन गई है जैसे यूरोप के देशों के लिए फुटबॉल l यही एकमात्र देश है जहां क्रिकेटर को भगवान की तरह मंदिर बनाकर पूजते हैं l दुनिया के सबसे कम देशों में खेले जाने वाला खेल क्रिकेट, भारतीय उपमहाद्वीप में और खासकरके भारत में बहुत लोकप्रिय है l भारत की विशाल जनसंख्या जिसमें युवाओं की हिस्सेदारी जबरदस्त है और मध्यवर्ग की आर्थिक मजबूती ने क्रिकेट के व्यवसायीकरण को मजबूती प्रदान किया l

भद्रजनों का खेल माने जाने वाले खेल क्रिकेट के व्यवसायीकरण का प्रथम प्रयास सत्तर के दशक के उत्तरार्द्ध में ऑस्ट्रेलिया में कैरी पैकर ने किया था जो बहुत सफल नहीं रहा l विश्व में क्रिकेट को मजबूती प्रदान करते हुए प्रतिभाओं को निखारने के लिए इसमें व्याप्त व्यापार की असीमित संभावनाओं का लाभ उठाते हुए सन 2008 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने पहली बार फ्रेंचाईजी आधारित टी 20 क्रिकेट लीग की शुरुआत की जिसमें 8 टीमें थीं l यह इंग्लैंड के प्रीमियर लीग से प्रेरित थी और इसका स्वरूप भी वैसा ही था l ललित मोदी इसके पहले कमिशनर थे और आईपीएल ने क्रिकेट को एक वैश्विक व्यापार में बदल दिया l

IPL के वर्तमान संस्करण में 10 टीमें चॅम्पियन बनने के लिए जोर आजमाईस कर रही हैं और इसबार का खिताब किसके नाम होगा इसका पता तो 25 मई 2025 को कोलकाता के एडेन गार्डन में चलेगा लेकिन आधे से ज्यादा लीग मैच खत्म होने के बाद हर दिन रोमांच बढ़ता जा रहा है l

IPL की व्यापारिक सफलता से बीसीसीआई, सरकार, फ्रेंचाईजी ( टीम के मालिक), खिलाड़ी, दूरसंचार कंपनी, उपभोक्ता सामानों के निर्माता, ऑटमोबील आदि अन्य सभी अंशधारकों की झोली रुपयों से भर रही है l

इस दौरान क्रिकेट के क्षितिज पर नए नए सितारों का उदय हो रहा है जो आने वाले समय में अपने अपने देशों में क्रिकेट को मजबूती प्रदान करते हुए सफलता के नए सोपान पर स्थापित करने का प्रयास करेंगे l क्रिकेट की मजबूती, प्रतिभाओं की पहचान और निखार, विभिन्न देशों के खिलाड़ी में समन्वय, स्वस्थ मनोरंजन आदि को समन्वित रूप से आगे लेकर चलने के लिए करीब 2 महीने तक चलने वाले इस महा आयोजन में शामिल अपार धन की उपलबद्धता ही प्रमुख है l आइए हमलोग IPL के अर्थशास्त्र को समझने का प्रयास करते हैं l इस चर्चा के मुख्य उद्देश्य है कि यह जाना जाय कि धन कहाँ से कितना आता है और फिर इसका वितरण कैसे और किनके बीच होता है l

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IPL का आयोजक बीसीसीआई है और इसमें 10 टीमें भाग ले रही हैं l आमदनी के मुख्य श्रोत हैं : प्रसारण अधिकार के लिए प्राप्त राशि, विज्ञापन, टिकट और अन्य सामानों की विक्री, पुरस्कार राशि, स्पॉन्सरशिप आदि l प्रसारण अधिकार देने के बदले बीसीसीआई को प्रतिवर्ष 9,678 करोड़ रुपये मिलते हैं जिसमें से 50% बीसीसीआई अपने पास रखती है और शेष 50% समान रूप से टीमों में बाँट दिया जाता है अर्थात 483.9 करोड़ रुपये हर टीम को मिलता है l
वर्तमान में टाटा टाइटल स्पान्सर है और इसी लिए 2025 आईपीएल को टाटा आईपीएल के नाम से जाना जाता है। टाइटल स्पान्सर्शिप से बीसीसीआई को 500 करोड़ रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं l इसका 50% बीसीसीआई अपने पास रखता है और शेष टीमों में बाँटा जाता है l इस तरह यह स्पष्ट है कि इन दोनों मदों से बीसीसीआई को इस वर्ष 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा प्राप्त होगा l इसके अलावा पुरानी 8 टीमें ( लखनऊ सुपर जियान्ट्स और गुजरात टाइटन्स को छोड़कर ) अपनी आमदनी का 20% बीसीसीआई को देते हैं l नई टीमें अपनी खरीद के लिए बोली गई रकम का 10% प्रतिवर्ष बीसीसीआई को देते हैं l इस क्रम में लखनऊ की टीम 709 करोड़ रुपये प्रति वर्ष तथा गुजरात की टीम 562 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बीसीसीआई को देते हैं l 10 वर्षों के बाद इन्हें भी अपनी आमदनी का 20% देना होगा l

बीसीसीआई के आमदनी के मुख्य 3 श्रोत हैं
प्रसारण अधिकार से प्राप्त राशि
स्पान्सर्शिप से प्राप्त राशि
फ्रनचाजी से प्राप्त राशि
इनके अलावा कुछ छोटे मोटे अन्य श्रोत भी हैं जैसे टिकट से प्राप्त आय में हिस्सेदारी, पेनालिटी और फाइन आदि l

बीसीसीआई के मुख्य खर्चे हैं :
फ्रनचाईजी को भुगतान
स्टेडियम के किराये
पुरस्कार वितरण
मैच ऑफिसियल, अंपायर का वेतन
सुरक्षा व्यवस्था
उत्पादन और प्रसारण के लिए आवश्यक सुविधा
मार्केटिंग और प्रसार

विजेता टीम को 20 करोड़, उपविजेता को 13.00 करोड़, तीसरे और चौथे स्थान वाली टीमों को 8.50 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया जाता है l इस तरह 50 करोड़ रुपये पुरस्कार के रूप में बाँटे जाते हैं l इसके अलावा प्रत्येक सीजन में मैच आयोजित कराने के लिए स्टेडियम के किराये के रूप में 300-400 करोड़ रुपये, मैच ऑफिसियल अम्पायर के वेतन आदि पर 20-30 करोड़ रुपये, उत्पादन और प्रसारण के आवश्यक तकनीकी सुविधाओं के लिए 250-300 करोड़ रुपये, सुरक्षा और परिवहन के लिए 150-200 करोड़ रुपये, मार्केटिंग और प्रसार के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये बीसीसीआई को खर्च करने होते हैं l

आइए अब टीमों की बात करते हैं l इनके आय के श्रोत हैं :
बीसीसीआई से प्राप्त हिस्सा
प्रायोजकों से प्राप्त राशि
टिकट विक्री
माल/मर्चेंनडाइज विक्री
रॉयल्टी, ब्रांड, विज्ञापन साझेदारी
डिजिटल काँटेन्टस और सोशल मीडिया मोनेटाइजेसन

2025 में प्रत्येक टीम को प्रसारण अधिकार के रकम में से 483.9 करोड़ रुपये मिलेंगे l टाइटल स्पान्सर (टाटा ) से प्राप्त राशि में से हिस्सा 25 करोड़ रुपये प्रत्येक टीम को मिलेंगे l प्रायजकों से 60–150 करोड़ रुपये तक मिलते हैं l प्रायजकों से मिलने वाली रकम एक समान नहीं होती है l यह टीम की स्थिति पर निर्भर होती है जैसे 2025 में मुंबई इंडियन को सर्वाधिक ( लगभग 150 करोड़ रुपये ) मिलेंगे वहीं लखनऊ को सबसे कम ( लगभग 80 करोड़ रुपये) मिलेंगे l

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100 करोड़ से ज्यादा रुपये पाने वाली टीमें हैं : मुंबई इंडियन, चेन्नई सुपर किंग्स, रॉयल चलेंजर्स l बड़ी और सफल टीमों जैसे मुंबई इंडियन, चेन्नई सुपर किंग की 2025 आईपीएल में कुल आय लगभग 650-675 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

IPL टीमों के मुख्य खर्चे हैं :
खिलाड़ियों की सैलरी (95-100 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं)
सहायक स्टाफ कोचिंग स्टाफ की सैलरी 15-20 करोड़ रुपये
टीम मैनेजमेंट और ऑफिस खर्च 10 – 15 करोड़ रुपये
यात्रा खर्च 20 – 25 करोड़ रुपये
मार्केटिंग और प्रमोशन 15–25 करोड़ रुपये
होम ग्राउन्ड रेंट और स्टेडियम खर्च 5 – 8 करोड़ रुपये
सामग्री का उत्पादन और ढूलायी 2 – 5 करोड़ रुपये
बीसीसीआई को भुगतान ( पुरानी टीमें ) 80 –100 करोड़ रुपये।
टैक्स ( जीएसटी, आय कर, tds आदि ) 40 – 50 करोड़
डिजिटल टीम और कंटेन्ट 02 – 03 करोड़ रुपये

ध्यान रहे कि खिलाड़ियों की सैलरी और उनपर की जाने वाली खर्च की अधिकतम सीमा बीसीसीआई द्वारा नियंत्रित है और शेष खर्चे टीमों के विवेक पर निर्भर करता है और प्रत्येक टीम अपने हिसाब से खर्च करती हैं l ऊपर दी गई रकम अतीत के आंकड़ों के आधार पर आधारित अनुमानित रेंज है l

IPL क्रिकेट का केवल एक मेगा ईवेंट ही नहीं है बल्कि भारत के खेल संस्कृति का अविभाज्य अंग बन गया है l इसके आयोजन से देश में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं और रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं l सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होती है l अप्रत्यक्ष कर संग्रह तो बढ़ता ही है प्रत्यक्ष कर भी सरकार को मिलता है l टीमें अपने लाभ पर कर देती हैं, खिलाड़ियों के आय से भी कर मिलता है l बीसीसीआई एक चेरटबल संस्था के रूप में पंजीकृत है जिससे उसे कर में छूट प्राप्त है l बीसीसीआई के चेरटबल होने पर बहस की काफी गुंजाइस है l

आयकर विभाग भी अपनी असहजता अनेकों बार दर्शा चुका है जिसके फलस्वरूप सीबीडीटी और कोर्ट ने बताया IPL से प्राप्त आय व्यावसायिक है और इसे आयकर से पूर्ण छूट नहीं दी जा सकती है l 2019-20 में बीसीसीआई ने 844 करोड़ रुपये का आयकर अदा किया है l इसके पीछे के वर्षों को लेकर विवाद है l 2022-23 के बैलन्स शीट में बीसीसीआई ने 4,212 करोड़ रुपये का कर प्रावधान किया है जिससे स्पष्ट है की इसने कर दायित्व को स्वीकार कर लिया है l इसके भुगतान की पुष्टि उपलबद्ध नहीं है l

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बीसीसीआई काम से काम अपने IPL से होनेवाली आय पर टैक्स अदा करती है और टीमों को विभिन्न प्रावधानों के तहत मिलनेवाली छूटों को हटा दिया जाय तो सरकार को प्रतिवर्ष इस दो महीने के ईवेंट से कम से कम लगभग 3000 – 3500 करोड़ रुपये का आयकर मिल सकता है l इसके अलावा अन्य कर ( प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष ) अलग से मिलते ही हैं l यह कहा जा सकता है कि उपरोक्त परिस्थियों में सरकार अकेला सबसे बड़ा लाभार्थी बनेगा l

उपरोक्त संदर्भों को ध्यान में रख कर यह कहा जा सकता है कि IPL ने सुदूर अंचलों में छिपी हुई प्रतिभाओं को आगे लाकर क्रिकेट को मजबूत बनाया है l लगभग 2 दशक पूर्व भारत में क्रिकेट कुछ बड़े शहरों तक सीमित था और भारत की राष्ट्रीय टीम में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों से खिलाड़ी चुने जाते थे l परंतु अब स्थिति बदल चुकी है l अब बिहार, बंगाल, झारखंड, मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के दम पर राष्ट्र का नाम रोशन कर रहे हैं l

एक समय था जब भारत सबसे कमजोर टीम के रूप में जानी जाती थी और विदेशी तेज गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों की गिल्ली और खिल्ली दोनों उड़ाते थे l परंतु आज भारत क्रिकेट का सुपर पावर बन गया है और ऐसा लगता है कि भारत एक साथ 2–3 टीमें बाहर भेज सकता है l बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में विलक्षण सुधार हुआ है l क्रिकेट में भारत विश्व विजेता है तो इसका श्रेय IPL को भी देना होगा l

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