Varanasi : भारतीय सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में आज इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरिनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी (ISOPARB) की मिड-टर्म नेशनल कॉन्फ्रेंस 2025 का शानदार शुभारंभ हुआ। होटल रेडिसन में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन का थीम है – “High Risk Pregnancy: Embrace the Challenge & Defy the Odds” (उच्च जोखिम गर्भावस्थाः चुनौतियों को स्वीकारें और मुश्किलों पर विजय पाएं)। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन वाराणसी सोसाइटी ऑफ पेरिनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी द्वारा वाराणसी ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनोकोलॉजी सोसाइटी के सहयोग से किया जा रहा है।

ISOPARB सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) एस. एन. संखवार, निदेशक, आयुर्विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एल. के. पांडेय, राष्ट्रीय अध्यक्ष ISOPARB डॉ. सुलेखा पांडेय, संयुक्त आयोजन अध्यक्ष डॉ. संगीता राय, डॉ. शालिनी टंडन, डॉ. रुचि सिन्हा, डॉ. प्रियदर्शिनी अग्रवाल, ISOPARB की सचिव जनरल डॉ. प्रज्ञा मिश्रा चौधरी और डॉ. मधुलिका सिंह सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में सम्मेलन की स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया, जिसका संचालन डॉ. रुचि पाठक और डॉ. ममता ने किया।
ISOPARB में देश-विदेश से आए प्रसूति एवं परिनैटल विज्ञान के विशेषज्ञों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पहले दिन के वैज्ञानिक सत्रों में उच्च जोखिम गर्भावस्था के प्रबंधन, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की रणनीतियों, नवीनतम तकनीकों और अनुसंधान पर गहन विचार-विमर्श हुआ। सत्रों में प्रसवोत्तर रक्तस्राव की रोकथाम, व्यावहारिक प्रसूति कार्यशालाएँ, भ्रूण स्वास्थ्य संगोष्ठी और आपातकालीन प्रसूति प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।

ISOPARB मीटिंग का मुख्य आकर्षण रहा डॉ. एल. डी. मिश्रा का कीनोट व्याख्यान, जिसमें उन्होंने “Evolution of Obstetrics HDU & ICU” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने प्रसूति गहन चिकित्सा इकाइयों (HDU और ICU) की आवश्यकता, उनके विकास और महत्व पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, डॉ. राज किशोरी झा ऑरेशन में डॉ. जे. बी. शर्मा ने गर्भावस्था में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया पर नवीन जानकारियाँ साझा कीं, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ. एस. अरुलकुमारन, डॉ. शिल्पी पांडेय और डॉ. जे. बी. शर्मा जैसे विशेषज्ञों ने मुख्य व्याख्यान दिए। इन व्याख्यानों में उच्च जोखिम गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं के समाधान और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों पर गहन चर्चा हुई। इसके साथ ही, वैज्ञानिक सत्रों, कार्यशालाओं, पैनल चर्चाओं, पेपर और पोस्टर प्रेजेंटेशन के माध्यम से नवीन अनुसंधान और तकनीकों को साझा किया गया।

आयोजन समिति का कहना है कि यह सम्मेलन स्त्री एवं प्रसूति स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा प्रदान करेगा। यह उच्च जोखिम गर्भावस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। समिति का मानना है कि इस तरह के आयोजन चिकित्सा विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करते हैं, जहाँ वे अपने अनुभव और नवीनतम शोध साझा कर सकते हैं, जिससे मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार संभव हो सकेगा।


पहले दिन का समापन एक भव्य सांस्कृतिक संध्या और रात्रिभोज के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित अतिथियों और विशेषज्ञों ने वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का आनंद लिया। सम्मेलन का वैज्ञानिक क्रम 7 सितम्बर को भी जारी रहेगा, जिसमें और भी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी।

यह सम्मेलन न केवल चिकित्सा क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहन देगा, बल्कि वाराणसी को वैश्विक स्तर पर चिकित्सा और अनुसंधान के केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगा। आयोजन समिति ने सभी प्रतिभागियों और प्रायोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया और इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प दोहराया।