Varanasi : इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरिनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी (ISOPARB) की दो दिवसीय मिड-टर्म कॉन्फ्रेंस 2025 का सफल आयोजन 6 और 7 सितंबर को वाराणसी के होटल रेडिसन में किया गया। इस वर्ष सम्मेलन का विषय था – “High Risk Pregnancy: Embrace the Challenge & Defy the Odds” अर्थात “उच्च जोखिम गर्भावस्था : चुनौतियों को स्वीकारें और मुश्किलों पर विजय पाएं।”

यह राष्ट्रीय सम्मेलन वाराणसी सोसाइटी ऑफ पेरिनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी एवं वाराणसी ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनोकोलॉजी सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। इस आयोजन में भारत सहित कई देशों के प्रख्यात चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ प्रो. डॉ. एस. अरुलकुमारन, डॉ. शिल्पी पांडेय और डॉ. जे. बी. शर्मा ने मुख्य व्याख्यान (Keynote Oration) दिया। सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिक सत्र, वर्कशॉप, पैनल चर्चाएं, पेपर और पोस्टर प्रेजेंटेशन आयोजित किए गए, जिनमें 300 से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया।

डॉ. रूचि सिन्हा (Organizing Secretary) ने बताया कि ISOPARB मुख्य रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर कार्य करती है। उन्होंने कहा, “देश में गर्भावस्था के दौरान मातृ मृत्यु दर अभी भी चिंता का विषय है और इसी के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु इस तरह के राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।”

डॉ. प्रियदर्शिनी अग्रवाल (Organizing Secretary) ने बताया कि सम्मेलन के अंतर्गत तीन प्रमुख वर्कशॉप आयोजित की गईं – पोस्टपार्टम हेमरेज, फिटल मेडिसिन, और प्रैक्टिकल ऑब्स्टेट्रिक्स, जिनमें विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी।

कार्यक्रम के मुख्य संचालक डॉ. एल. के. पांडेय और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुलेखा पांडेय ने ISOPARB की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह संस्था FIGO जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की सीमाओं को देखते हुए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर केंद्रित सम्मेलन आयोजित करती है। ISOPARB ने पूरे देश में विशेषज्ञों को एक साझा मंच पर लाकर ज्ञान का आदान-प्रदान सुनिश्चित किया है।


दो दिवसीय यह कॉन्फ्रेंस मेडिकल फील्ड में कार्यरत चिकित्सकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुई और यह उम्मीद जताई गई कि इससे उच्च जोखिम गर्भावस्था के मामलों में बेहतर देखभाल और प्रबंधन संभव होगा।