इसरो ने रचा इतिहास, की स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 30 दिसंबर को स्पैडेक्स मिशन के तहत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए इस मिशन का सफल प्रक्षेपण किया गया।

इसरो ने इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर बताया। एजेंसी ने कहा, “स्पैडेक्स का छोटा आकार और हल्का वजन इसे चुनौतीपूर्ण बनाता है, क्योंकि यह दो बड़े अंतरिक्ष यानों की तुलना में कहीं अधिक सटीकता और सूक्ष्मता की मांग करता है। यह मिशन भविष्य के चंद्र अभियानों, जैसे चंद्रयान-4, के लिए आवश्यक स्वायत्त डॉकिंग तकनीक विकसित करने का आधार रखेगा, जो पृथ्वी से जीएनएसएस सहायता के बिना संचालित होगा।”

कक्षीय डॉकिंग में क्षमताओं का प्रदर्शन

इसरो ने आगे कहा कि “स्पैडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य कक्षीय डॉकिंग में भारत की तकनीकी दक्षता को स्थापित करना है। यह भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों और उपग्रह सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।”

लॉन्चिंग का समय पहले रात 9:58 बजे तय किया गया था, जिसे कुछ तकनीकी कारणों से बदलकर रात 10 बजे कर दिया गया। हालांकि, इस बदलाव का कारण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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चुनिंदा देशों की सूची में भारत शामिल

स्पैडेक्स मिशन की सफलता के साथ, भारत अब चीन, रूस और अमेरिका जैसे उन देशों की विशेष सूची में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का सफल प्रदर्शन कर चुके हैं। ‘स्पेस डॉकिंग’ का मतलब है अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ना, जो मानव को एक यान से दूसरे यान में भेजने की क्षमता प्रदान करता है।

यह उपलब्धि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और भविष्य के मिशनों में इसकी निर्णायक भूमिका को दर्शाती है।

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