PROBA-3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज एक और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। शाम 4:15 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 सोलर मिशन को लॉन्च किया जाएगा। पहले यह लॉन्चिंग बुधवार को प्रस्तावित थी, लेकिन तकनीकी खामी के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
PROBA-3 यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रोबा श्रृंखला का तीसरा सोलर मिशन है। यह मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) का गहराई से अध्ययन करेगा। खास बात यह है कि यह दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग मिशन है, जिसमें दो सैटेलाइट एक साथ काम करेंगे।
सैटेलाइट का नाम: कोरोनाग्राफ और ऑक्लटर।
वजन: दोनों सैटेलाइट का कुल वजन 550 किलोग्राम है।
कार्य: सूर्य के इनर और आउटर कोरोना के बीच गैप का अध्ययन करना।

लागत: मिशन की कुल लागत 20 करोड़ यूरो (लगभग 1,778 करोड़ रुपये)।
कैसे करेगा काम?
लॉन्च के बाद दोनों सैटेलाइट अलग हो जाएंगे और 150 मीटर की दूरी पर रहकर सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे। यह सोलर कोरोनाग्राफ बनाने के लिए अपने आप को सटीक पोजिशन में स्थापित करेंगे और छोटी से छोटी जानकारी पृथ्वी पर भेजेंगे।
प्रोबा-3 मिशन में स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड की टीमों ने काम किया है। इस श्रृंखला का पहला मिशन भी 2001 में ISRO ने लॉन्च किया था।
यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और सूर्य की गहरी जानकारी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। ISRO एक बार फिर अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी कौशल से अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।
