रांची I झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं और इस बार चुनावी मैदान में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हालांकि कुल उम्मीदवारों की संख्या पिछले चुनाव से थोड़ी कम हुई है, लेकिन महिला उम्मीदवारों की संख्या में हल्का इजाफा हुआ है। 2019 में जहां 127 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं, वहीं इस बार यह संख्या बढ़कर 128 हो गई है।
इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां सत्तारूढ़ जेएमएम की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा, वहीं एक नया खिलाड़ी लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) भी उभरा है। जेएलकेएम ने राज्य की 81 सीटों में से 76 पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा धर्मांतरण और जातीय समीकरण जैसे मुद्दे भी चुनावी रणभूमि में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
राज्य की आदिवासी इलाकों में खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JLKM) का गढ़ मजबूत माना जाता है, वहीं बीजेपी का मुख्य गढ़ गढ़वा, चतरा, धनबाद, रांची और सिंहभूम जिले हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जैसे दल भी कुछ सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
धर्मांतरण, जातीय समीकरण और घुसपैठिए जैसे मुद्दे चुनावी रणनीति का हिस्सा बने हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे नेताओं ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है, जबकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में यूसीसी और एनआरसी लागू न करने की बात की है। इस चुनाव में महिला वोटर्स का भी अहम रोल है और सभी राजनीतिक दल उनकी सशक्तिकरण, सुरक्षा और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं।
