Colombo/New Delhi : भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से चल रहे Kachchativu Island Dispute पर श्रीलंका ने एक बार फिर अपना रुख साफ कर दिया है। शुक्रवार को श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने कहा कि उनके देश का Kachchativu Island को छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को भारत के साथ राजनयिक स्तर पर सुलझाया जाएगा, लेकिन द्वीप श्रीलंका का हिस्सा बना रहेगा।
गुरुवार को सिरासा टीवी को दिए एक साक्षात्कार में हेराथ ने कहा कि हमारे पास भारत के साथ मुद्दों को सुलझाने के लिए राजनयिक माध्यम मौजूद हैं, लेकिन श्रीलंका कभी भी कच्चातिवु द्वीप छोड़ने के लिए सहमत नहीं होगा।

भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी पर भी दी प्रतिक्रिया
बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कई बार भारतीय मछुआरे अनजाने में या जानबूझकर श्रीलंका की समुद्री सीमा में प्रवेश करते हैं, जिससे संसाधनों की लूट और समुद्री पारिस्थितिकी को नुकसान होता है।

1975 के समझौते से उपजा विवाद
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 27 जून को बयान दिया था कि भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी का मुद्दा 1975 में आपातकाल के दौरान हुए भारत-श्रीलंका समझौते से जुड़ा है, जिसमें कुछ समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने के अधिकार छोड़े गए थे। इसी समझौते के तहत Kachchativu Island को भारत ने श्रीलंका को सौंपा था, जिसे लेकर देश में विवाद आज भी जारी है।

भाजपा बनाम कांग्रेस: कच्चातिवु बना सियासी मुद्दा
भारत में भाजपा और कांग्रेस के बीच यह मुद्दा लगातार राजनीतिक तकरार का विषय बना हुआ है। भाजपा इस समझौते के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है, जबकि कांग्रेस इसे ऐतिहासिक परिस्थिति में लिया गया फैसला बताती है।
श्रीलंका का आरोप: भारत सरकार अवैध मछली पकड़ने के खिलाफ
विदेश मंत्री हेराथ ने यह भी कहा कि श्रीलंका जानता है कि भारत सरकार अवैध मछली पकड़ने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के तहत समन्वय और समाधान की उम्मीद जताई।

