वाराणसी। भगवान गणेश, जिन्हें गणपति, लंबोदर, विनायक और बप्पा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सर्वाधिक पूजनीय देवता माने जाते हैं। कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले उनकी पूजा की जाती है। यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भी सबसे पहले गणपति का आवाहन होता है। हालांकि गणेश जी के कई मंदिर हैं, आज हम आपको एक विशेष मंदिर के बारे में बताएंगे। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर जितना लोकप्रिय है, उसी तरह वाराणसी में एक अनूठा और प्रसिद्ध मंदिर है जिसे “40 खंभों वाला गणेश मंदिर” कहा जाता है। यहां गणेश जी की त्रिनेत्र रूपी प्रतिमा विराजमान है। आइए जानते हैं इस त्रिनेत्र प्रतिमा के पीछे छिपे रहस्य के बारे में।
40 खंभों वाले गणेश मंदिर का रहस्य
वाराणसी के लोहटिया क्षेत्र में स्थित यह गणेश मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जहां उनकी त्रिनेत्र रूपी स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा को बड़े गणेश जी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में जब वाराणसी में गंगा के साथ मंदाकिनी नदी भी बहती थी, उसी समय भगवान गणेश की यह त्रिनेत्र प्रतिमा नदी से प्रकट हुई थी। जिस दिन यह प्रतिमा मिली थी, वह दिन माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का था और तभी से यहां प्रतिवर्ष विशाल मेले का आयोजन होता है।
क्यों कहा जाता है इसे 40 खंभों वाला गणेश मंदिर?
त्रिनेत्र प्रतिमा के अलावा, इस मंदिर की एक अन्य विशेषता इसके 40 खंभे हैं। ये खंभे इतनी अनोखी शैली में बने हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालु चकित हो जाते हैं। हालांकि इस मंदिर के इतिहास के बारे में बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन मान्यता है कि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की त्रिनेत्र प्रतिमा की पूजा करने से श्रद्धालुओं के जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
गणेश जी के इस मंदिर की महिमा
वाराणसी के लोहटिया में स्थित इस गणेश मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां भगवान गणेश के साथ उनकी पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि भी विराजमान हैं। मान्यता है कि त्रिनेत्र गणेश की पूजा से व्यक्ति को शुभ लाभ के साथ ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। खास बात यह है कि मंदिर में गणेश जी की पूजा कपाट बंद होने के बाद ही की जाती है और इसे देखने की अनुमति किसी को नहीं होती।
कहा जाता है कि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के दर्शन करने से विशेष लाभ मिलता है और भक्तों के जीवन से दुख और कष्ट दूर होते हैं।