वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और इंडियन एकेडमी ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी ( Indian Academy of Health Psychology ) के संयुक्त तत्वावधान में 22 से 24 नवंबर तक आयोजित होने वाले Ninth International Conference से पहले गुरुवार को दो विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं के विषय थे Holistic Health from Soul to Cell और Emotional Freedom Technique। देशभर से आए 72 प्रतिभागियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।
पहले सत्र के मुख्य वक्ता :-
- फ्रांस से आईं जुली गरलैंड ने मानसिक स्वास्थ्य ( Mental Health ) और अनकंडीशनल लव ( Unconditional Love ) के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने अपनी मां बनने की यात्रा और ‘बर्थ ट्रामा’ ( Birth Trauma ) के अनुभव साझा किए, साथ ही बताया कि इस कठिन समय में उनके पति ने किस प्रकार उनका साथ दिया।
- फ्रांकोइस गरलैंड ने बताया कि वर्तमान समय का वातावरण किस तरह मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। उन्होंने इसे दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को अहम बताया।
- डॉ. राजेश कुमार झा ने कहा कि भारत में माता-पिता से जन्म के समय के अनुभवों पर चर्चा करना आसान नहीं है, लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण विषय हो सकता है।
दूसरे सत्र का फोकस :-
दूसरे सत्र में नव्यादक्ष परामर्श केंद्र, केरल के निदेशक अजीत कृष्णन ने संवेगात्मक स्वतंत्रता (Emotional Freedom) के महत्व को उदाहरणों और गतिविधियों के माध्यम से स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि शिशु गर्भ में भी सीखने की प्रक्रिया शुरू कर देता है, और इसका ऐतिहासिक उदाहरण अभिमन्यु की कहानी से मिलता है।
कार्यक्रम में इंडियन एकेडमी ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी के अध्यक्ष और काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार, सम्मेलन निदेशक प्रो. संजय, संयुक्त निदेशक प्रो. रश्मि सिंह, संयोजिका प्रो. शेफाली ठकराल और प्रशासनिक सचिव प्रो. के.के. सिंह सहित कई प्रमुख शिक्षाविद उपस्थित रहे।