सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा उपयोग करने की आवश्यकता: डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान और क्लाइमेट एजेंडा ने शनिवार को यातायात जागरूकता माह के तहत Youth Dialogue कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और स्थायी शहरी परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक परिवहन के उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि निजी वाहनों की बढ़ती संख्या न केवल यातायात के दबाव को बढ़ा रही है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग ( Maximum use of public transport ) करना चाहिए। इसके साथ ही, शहरी परिवहन को समावेशी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है।

सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा उपयोग करने की आवश्यकता: डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा उपयोग करने की आवश्यकता: डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह

कार्यक्रम में क्लाइमेट एजेंडा के सह-संस्थापक रवि शेखर ने बताया कि नीति आयोग के अनुसार, वाहनों से होने वाला प्रदूषण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार तीसरा सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरों के साथ सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बसों और अन्य हरित विकल्पों से सुसज्जित करना जरूरी है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि शहरी सार्वजनिक परिवहन का डिज़ाइन ऐसा होना चाहिए जो महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों और दिहाड़ी मजदूरों जैसे कमजोर तबकों की जरूरतों को ध्यान में रखे। यह डिज़ाइन समावेशी और सुलभ होना चाहिए।

कार्यक्रम में हरित सफर अभियान ( Green Travel Campaign ) पर भी चर्चा की गई। इसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर डेटा इकट्ठा करना और सामाजिक एवं नागरिक संगठनों को साथ लाकर नीति निर्माताओं को सतत और समावेशी परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिए प्रेरित करना है। इस अभियान का लक्ष्य शून्य कार्बन उत्सर्जन ( Zero carbon emissions ) प्राप्त करना है।

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कार्यक्रम में टीसीए आउटरीच स्ट्रैटिजिस्ट मनीष सिन्हा, कैंपेनर आशुतोष और अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। साथ ही, हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के प्रोफेसर डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह, डॉ. संतोष कुमार मिश्र और डॉ. जय प्रकाश श्रीवास्तव सहित कई शिक्षाविद्, शोधकर्ता और छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।

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