पटना। बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बयान, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाजे खुले होने की बात कही है, ने चर्चाओं को हवा दे दी है। लालू ने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन में आते हैं तो हम उन्हें माफ कर देंगे। माफ करना हमारा फर्ज है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब नीतीश कुमार की एनडीए से नाराजगी की खबरें चर्चा में हैं। हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हुई, जिससे राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि महागठबंधन में नीतीश के लिए दरवाजे बंद हैं, लेकिन लालू यादव का बयान नई संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
बिहार की राजनीति में मकर संक्रांति का खास महत्व है। चूड़ा-दही भोज के दौरान नेताओं का मिलना-जुलना राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है। 2024 में मकर संक्रांति के बाद नीतीश ने महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में वापसी की थी। इस बार मकर संक्रांति के बाद बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता।
लालू यादव के बयान पर जेडीयू और बीजेपी ने तीखा हमला बोला। जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि लालू अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करने के लिए व्याकुल हैं। यह बयान उसी व्याकुलता का परिणाम है।
बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि लालू यादव अब उम्रदराज हो गए हैं और उनके बयान सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए हैं। एनडीए का कोई भी नेता उनके दरवाजे पर प्रवेश नहीं करेगा।
2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लालू यादव का यह बयान बिहार की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है। क्या नीतीश कुमार फिर से पाला बदलेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।