माघ पूर्णिमा पर बन रहे ये 5 शुभ योग, जानें इस दिन स्नान-दान का क्या है महत्व

हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना और व्रत का विधान है। मान्यता है कि इस दिन व्रत, स्नान और दान करने से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


माघ पूर्णिमा क्यों है खास?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ मास की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान, जप और दान करने से व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर तिल दान करने से अनेक यज्ञों के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।


माघ पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ योग

🔹 पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025, शाम 06:55 बजे
🔹 पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, शाम 07:22 बजे
🔹 महत्वपूर्ण संयोग: 12 फरवरी को कुंभ संक्रांति पड़ेगी, जब सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।

इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे:
सौभाग्य योग
शोभन योग
शिववास योग
गजकेसरी योग
त्रिग्रही योग


स्नान-दान का महापर्व

मकर संक्रांति की तरह माघ पूर्णिमा पर भी स्नान और दान का विशेष महत्व है। गंगा-यमुना संगम पर कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह दिन शाही स्नान और तपस्या के समापन का प्रतीक होता है।

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📌 दान करने योग्य वस्तुएं:
तिल, गुड़, घी, अन्न, फल, कपास, वस्त्र, कंबल, लड्डू और पादुका का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
भगवान विष्णु की पूजा और पितरों का श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है


सूर्य और चंद्र पूजा का महत्व

माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष विधान है।

सूर्य पूजा:
✔ माघ पूर्णिमा पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से बीमारियों और दोषों से मुक्ति मिलती है।
ऊँ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाने से आयु वृद्धि होती है।

🌙 चंद्र पूजा:
✔ इस दिन रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष शांत होता है।
✔ औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखने से वे अधिक प्रभावशाली हो जाती हैं और शरीर को निरोगी बनाती हैं।


तीर्थ स्नान का फल

माघ पूर्णिमा को ब्रह्म पूर्णिमा भी कहा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पूरे माघ महीने तीर्थ स्नान नहीं कर पाता है, तो पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे महीने के स्नान के बराबर पुण्य फल मिलता है

📌 क्या करें यदि तीर्थ स्नान संभव न हो?
अगर कोई गंगा स्नान करने में असमर्थ है तो –
नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें
✔ इससे भी तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल प्राप्त होता है

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पुराणों में माघ पूर्णिमा का उल्लेख

📜 ब्रह्मवैवर्त पुराण: माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं
📜 पद्म पुराण: इस दिन गंगा स्नान और जप-तप करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
📜 मत्स्य पुराण: माघ पूर्णिमा पर ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करने से मोक्ष प्राप्ति होती है।


माघ पूर्णिमा पर क्या करें?

सूर्योदय से पहले स्नान करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
दान-पुण्य करें, विशेष रूप से तिल दान करें।
पितरों की शांति के लिए श्राद्ध करें।
नीरोग रहने के लिए औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखें और अगली सुबह उनका सेवन करें।


माघ पूर्णिमा का पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए स्नान, दान और जप-तप से व्यक्ति पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। यह दिन देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने और जीवन में खुशहाली लाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 🚩

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