Varanasi : माहेश्वरी समाज इस वर्ष भी Mahesh Navami पर्व को 4 जून 2025 को भव्यता और हर्षोल्लास के साथ मनाएगा। यह पर्व माहेश्वरी वंश की उत्पत्ति का प्रतीक है और समाज इसे होली, दीपावली और विजयादशमी जैसे प्रमुख त्योहारों की तरह उत्साहपूर्वक मनाता है। इस अवसर पर सामाजिक एकता, दान, सेवा और जागरूकता को बढ़ावा देने वाले विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।
माहेश्वरी परिषद के प्रशासनिक एवं मीडिया प्रमुख गौरव राठी ने बताया कि 31 मई से “महेश सप्ताह” शुरू हो चुका है, जिसके तहत कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इनमें शामिल हैं:
- रात्रिकालीन क्रिकेट टूर्नामेंट
- बच्चों को निःशुल्क किताबें और स्टेशनरी किट वितरण
- खिचड़ी और शरबत वितरण
- रक्तदान शिविर और नेत्रदान प्रोत्साहन
- निःशुल्क प्याऊ स्थापना
- पर्यावरण संरक्षण के लिए जन-जागरूकता अभियान
- इन कार्यक्रमों के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसमें समाज के विभिन्न संस्थानों को जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं।

महेश नवमी के दिन 4 जून को सुबह 6:30 बजे दशाश्वमेध घाट से भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो गोदौलिया, कोतवालपुरा, और बांसफाटक होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर तक पहुंचेगी। इस यात्रा में उत्तर प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
शाम को माहेश्वरी भवन में वरिष्ठ समाजसेवी नंदकिशोर राठी के नेतृत्व में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह आयोजित होगा, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र मुख्य अतिथि होंगे। 5 जून को पुरस्कार वितरण और सम्मान समारोह के साथ महेश सप्ताह का समापन होगा।
गौरव राठी ने कहा कि महेश नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस दिन समाज के लोग नए वस्त्र धारण कर, घरों को सजाकर और पारंपरिक पकवान बनाकर उत्सव मनाते हैं। यह पर्व माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति की कथा को जीवंत करता है, जिसमें भगवान शिव ने 72 क्षत्रिय उमरावों को ऋषियों के श्राप से मुक्ति देकर माहेश्वरी समाज की स्थापना की थी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, महेश नवमी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि 3 जून की रात 9:56 से शुरू होकर 4 जून की रात 11:54 तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर 4 जून को ही पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव (महेश) और माता पार्वती की पूजा से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा और रुद्राभिषेक से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- चंदन, कुमकुम, अक्षत, और फूल अर्पित करें।
- दीप-धूप जलाकर बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- महेश नवमी व्रत कथा का पाठ करें।
- शाम को आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
महेश नवमी की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए 31 मई को महमूरगंज के माहेश्वरी भवन में बैठक हुई। अध्यक्ष किशोर मुंदडा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अनिल झवर ने संचालन किया और कोषाध्यक्ष प्रफुल्ल सोमानी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। बैठक में अजय काबरा, गौरी शंकर नेवर, श्रीराम माहेश्वरी, राजकुमार कोठारी और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।