वाराणसी। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए इसके चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह डिजिटल हाउस अरेस्टिंग और निवेश घोटालों के जरिए लोगों को ठग रहा था। पुलिस को जांच में दुबई में बैठे साइबर अपराधियों से जुड़े इसके नेटवर्क का भी खुलासा हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, पासबुक, और नकदी बरामद की गई है।
बता दें कि, बड़ागांव निवासी विशाल सिंह ने 23 अक्टूबर को साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि साइबर ठगों ने उन्हें बिजनेस इन्वेस्टमेंट के झांसे में फंसाकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाए हैं, जिनमें लाखों रुपए का लेन-देन हो रहा है। पुलिस ने उन बैंक खातों को फ्रीज करते हुए संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार के निर्देशन में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व अपर पुलिस उपायुक्त श्रुति श्रीवास्तव और एसीपी गौरव कुमार ने किया। साइबर क्राइम थाने की टीम ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और डिजिटल साक्ष्य की मदद से इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों में दिशांत किरीटभाई पाटेलिया (32) निवासी जामनगर, गुजरात (गिरोह का सरगना), दीपक दिनेश भाई जोगिया (32) निवासी जामनगर, गुजरात, सत्यम मिश्रा (19) निवासी वाराणसी, और नितिन पांडेय (22) निवासी भदोही हैं। पुलिस ने उनके पास से 6 एंड्रॉयड मोबाइल, 1 आईओएस मोबाइल, 1 कीपैड मोबाइल, 20 एटीएम कार्ड, 10 सिम कार्ड, 6 सिम कार्ड रैपर, 13 एटीएम किट, 14 पासबुक, और ₹6,070 नकद बरामद किए।
यह गिरोह दुबई स्थित साइबर अपराधियों के निर्देशन में भारत में अपने एजेंटों के जरिए स्थानीय लोगों को निवेश के झांसे में फंसाकर बैंक खाते खुलवाता था। इन खातों में इंटरनेट बैंकिंग सक्रिय करने और अंतरराष्ट्रीय एटीएम सीमा बढ़ाने के बाद, बैंकिंग जानकारी दुबई में भेजी जाती थी। दुबई में बैठे ठग इन खातों में फर्जी लेन-देन कराते और राशि क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से अपने पास मंगवाते। इस ठगी के बदले गिरोह को कुल राशि का 30% हिस्सा मिलता था।