लखनऊ I राज्य सरकार संपत्ति की सुरक्षा और किरायेदारी विवादों को कम करने के लिए रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को अनिवार्य बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए स्टाम्प शुल्क बेहद कम रखा जाएगा। एक वर्ष से अधिक के रेंट एग्रीमेंट पर न्यूनतम 500 रुपये से अधिकतम 20,000 रुपये तक स्टाम्प शुल्क लगेगा। कैबिनेट में जल्द ही इससे जुड़ा प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
कानूनी रूप से मान्य होंगे रजिस्टर्ड एग्रीमेंट
रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट में लिखी गई शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी और उन्हीं पर कोर्ट में दावा किया जा सकेगा। स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि इससे मकान मालिक और किरायेदारों के बीच होने वाले विवादों में कमी आएगी। वर्तमान में अधिक स्टाम्प शुल्क के कारण लोग महज 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर समझौता कर लेते हैं, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं होता।
स्टाम्प शुल्क के नए नियम और पोर्टल
स्टाम्प शुल्क के नियम सरल बनाने के लिए एक नई व्यवस्था की जाएगी। एक वर्ष तक के रेंट एग्रीमेंट के लिए अलग से पोर्टल तैयार होगा, जहां से निर्धारित फॉर्मेट को डाउनलोड कर स्टाम्प पर चिपकाने से कानूनी मान्यता मिल जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार, यदि रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं होगा, तो किसी भी पक्ष को कानूनी अधिकार नहीं मिल पाएगा।
नए प्रस्ताव के तहत स्टाम्प शुल्क
- एक साल तक के एग्रीमेंट पर किराए का 2% स्टाम्प शुल्क
- दो लाख रुपये तक के किराए पर 500 रुपये शुल्क
- पांच लाख रुपये तक के किराए पर 5,000 रुपये शुल्क
- एक करोड़ रुपये से अधिक के किराए पर 20,000 रुपये शुल्क
महिलाओं को प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में मिलेगी विशेष छूट
राज्य सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए एक करोड़ रुपये तक की संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क में 1% की छूट देने की योजना बना रही है। अभी यह छूट केवल 10 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टी पर उपलब्ध है। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद, महिलाओं को अधिकतम 1 लाख रुपये तक का लाभ मिलेगा।

स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर संवेदनशील है और यह कदम महिलाओं की संपत्ति में हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायक होगा। इससे पहले गिफ्ट डीड योजना के तहत महिलाओं के नाम करीब 4 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति ट्रांसफर की गई थी।