वाराणसी I वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर सोमवार को आयोजित मसाने की होली (Masan Holi) ने एक अद्भुत नजारा पेश किया। यहां मुंह में जिंदा सांप और गले में नरमुंड माला पहने भक्तों ने भस्म की होली खेली। मां काली का रौद्र रूप और चिताओं से उड़ती राख के बीच इस होली ने काशीवासियों और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। घाट पर इतने लोग थे कि पैर रखने की भी जगह नहीं थी और चिताओं से उठते धुएं के बीच लोग चिता की राख से होली खेल रहे थे।

Masan Holi में हर कोई राख से नहाया हुआ था। एक ओर जहां चिताओं का धुआं उठ रहा था, वहीं दूसरी ओर होली के रंग में डूबे लोग खुशी और गम को एक साथ अनुभव कर रहे थे। चिता की राख से खेलते लोग मानो मृत्यु और जीवन दोनों का प्रतीक देख रहे थे।
इस साल, हरिश्चंद्र घाट पर पहली बार कलाकारों ने करतब नहीं दिखाए, बल्कि मसाने की होली (Masan Holi) पर ध्यान केंद्रित किया। 20 देशों से लगभग 5 लाख पर्यटक इस आयोजन को देखने पहुंचे थे। शोभायात्रा की शुरुआत कीनाराम आश्रम से हुई, जहां घोड़े और रथ पर सवार संत, नागा संन्यासी 2 किमी का सफर तय करके हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। इस यात्रा में शिव तांडव के गीतों पर पर्यटक और काशी के लोग थिरकते हुए दिखाई दिए।