वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग एवं मीरा एजुकेशन सोसाइटी के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय मुखौटा कार्यशाला के चौथे दिन सोमवार को छात्रों को बनारस और लद्दाख की लोक कला के मुखौटे बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यशाला में 97 छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के मुखौटे बनाना सीखा।
बनारस की लोक कला के अंतर्गत दुर्गा, काली और अन्य देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक स्वरूप को बनाने का प्रयास किया गया। बनारस में तीज-त्यौहार के अवसरों पर मेले में मुखौटे बेचने की परंपरा रही है, लेकिन अब मिट्टी के मुखौटे के स्थान पर प्लास्टिक के मुखौटे बनाने की प्रवृत्ति बढ़ गई है।
छात्र-छात्राओं ने लद्दाख और भूटान के क्षेत्रों में पूजा-पाठ के लिए बनाए जाने वाले मुखौटे भी बनाए। कार्यशाला में छात्राओं ने पहले मिट्टी से मुखौटे बनाने की प्रक्रिया शुरू की, इसके बाद वे सांचा बनाकर फाइबर ग्लास में ढालकर तैयार करेंगे। अंत में, मुखौटे को एक्रेलिक और ऐनामेल रंगों से सजाया जाएगा।
इस अवसर पर डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद, हिमांशु सिंह, डॉ. रामराज, डॉ. मदन प्रसाद गुप्ता, डॉ. स्नेह लता कुशवाहा, डॉ. सविता यादव, एस. एंजेला, शालिनी कश्यप, प्रवीण प्रकाश हिमांशु और अन्य उपस्थित थे।