लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर कार्रवाई से संबंधित मामले में संपत्तियों को ध्वस्त करने के नियमों पर नए दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत ने स्पष्ट किया कि कार्यकारी अधिकारी न्यायधीश की भूमिका में नहीं हो सकते और वे बिना उचित प्रक्रिया के किसी आरोपी के घर को नष्ट नहीं कर सकते।
इस फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर विध्वंस के संबंध में आए फैसले और सख्त दिशा-निर्देशों से उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य सरकारें जनहित को प्राथमिकता देंगे और अब बुलडोजर के आतंक का अंत होगा।”
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना असंवैधानिक है। न्यायमूर्ति गवई ने यह भी कहा कि यह उचित नहीं कि महिलाएं और बच्चे रात में सड़क पर रहें।
अदालत के निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि किसी भी संपत्ति को गिराने से पहले उसके मालिक को कम से कम 15 दिन पहले पंजीकृत डाक से नोटिस भेजना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, संपत्ति की बाहरी दीवार पर नोटिस चिपकाना और विध्वंस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करना भी जरूरी होगा।
