लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के तीन फैसलों ने पार्टी में हलचल मचा दी है। इन फैसलों को लेकर पार्टी के नेता चुप्पी साधे हुए हैं और इस पर कोई भी खुलकर बात करने को तैयार नहीं है। हाल ही में मायावती ने एक के बाद एक कई फैसले लिए हैं, जिनमें से सबसे बड़ा ऐलान 16 फरवरी को हुआ, जिसने पार्टी और उत्तर प्रदेश की सियासत को एक नया मोड़ दिया।
पार्टी में कयास लगाए जा रहे थे कि मायावती के भतीजे आकाश आनंद ही उनके उत्तराधिकारी होंगे। 2023 में उन्हें पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर नियुक्त किया गया था, लेकिन 2024 के चुनाव से पहले उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद, मायावती ने आकाश के लिए किसी अन्य जिम्मेदारी का संकेत दिया था, लेकिन अब उनके फैसलों से यह साफ हो गया है कि मायावती ने आकाश आनंद को लेकर भी संदेह जताया है।
मायावती ने 12 फरवरी को अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन पर गुटबाजी का आरोप लगाया गया। इस दिन नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया, जो कि अशोक सिद्धार्थ के करीबी थे। अशोक सिद्धार्थ पहले मायावती की राजनीति से प्रभावित होकर बसपा में शामिल हुए थे और बाद में उन्हें यूपी विधान परिषद और राज्यसभा भेजा गया था।

मायावती ने 16 फरवरी को आकाश आनंद के उत्तराधिकारी बनने पर एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कांशीराम की तरह अपने जीते-जी पार्टी का कोई वास्तविक उत्तराधिकारी बनाने से मना कर दिया। उनके सोशल मीडिया पोस्ट में यह साफ तौर पर लिखा था कि कोई भी उत्तराधिकारी तभी बन सकता है, जब वह पार्टी और मूवमेंट को बढ़ाने में पूरी तरह से समर्पित हो और उसे हर तरह की कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ाए।
मायावती के फैसले के बाद आकाश आनंद की चुप्पी ने भी राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े कर दिए हैं। खासतौर पर 12 फरवरी के पोस्ट को आकाश ने रिपोस्ट नहीं किया, जबकि वह आमतौर पर मायावती के सभी पोस्ट को रिपोस्ट करते हैं। यह एक बड़ा संकेत माना जा रहा है, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या आकाश आनंद ने पार्टी के फैसलों को सही तरीके से नहीं लिया।
