नई दिल्ली। मेडिकल कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया में गहराए भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आठ अधिकारियों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के एक अधिकारी, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) के निरीक्षण दल से जुड़े पांच डॉक्टरों समेत कुल 34 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
तीन मेडिकल कॉलेज चेयरमैन भी आरोपी
प्राथमिकी में शामिल नामों में रावतपुरा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के चेयरमैन रविशंकर जी. महाराज, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, गीतांजलि यूनिवर्सिटी और बीएचयू के पूर्व वीसी डी. पी. सिंह जैसे प्रमुख नाम भी शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों पर गंभीर आरोप
CBI की जांच के अनुसार, यह नेटवर्क केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा हुआ है। आरोपी अधिकारी पूनम मीणा, धर्मवीर, पीयूष माल्यान, अनूप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा और चंदन कुमार पर आरोप है कि इन्होंने मेडिकल कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए मंत्रालय की गोपनीय फाइलों की जानकारी चोरी कर बिचौलियों के माध्यम से कॉलेजों तक पहुंचाई।
इन अधिकारियों ने कथित रूप से वरिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणियों की फोटो खींची और नियमों को दरकिनार करते हुए कॉलेजों को समय से पहले निरीक्षण की तारीख और निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों के नामों की जानकारी दे दी।

रिश्वत का लेन-देन हवाला के जरिए
CBI ने खुलासा किया है कि इस भ्रष्टाचार में हवाला के जरिए लाखों रुपये की रिश्वत दी जा रही थी। निरीक्षण में हेरफेर के लिए एनएमसी की टीम, बिचौलियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के बीच रकम का लेन-देन होता था।
आठ गिरफ्तार, तीन डॉक्टर शामिल
मामले में अब तक आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें एनएमसी टीम के तीन डॉक्टर भी शामिल हैं। इन्हें नया रायपुर स्थित रावतपुरा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को अनुकूल रिपोर्ट देने के एवज में 55 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
CBI ने बताया “गंभीर साजिश”
सीबीआई ने इसे चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में गहराए संगठित भ्रष्टाचार का मामला बताया है। जांच एजेंसी के मुताबिक, इस प्रकार की गोपनीय जानकारी ने कॉलेजों को निरीक्षण के दौरान धोखाधड़ी का सुनियोजित अवसर दिया।