वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (MGKVP) के महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान एवं सेवाज्ञ संस्थानम्, काशी के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) पर शनिवार को एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी का विषय था ‘भारतीय समाज में नारी की यात्रा: परंपरा एवं प्रगति का संगम’, जिसमें शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने महिला सशक्तिकरण, नारीवाद और सामाजिक संरचना पर अपने विचार साझा किए।

मुख्य अतिथि डॉ. हरेंद्र राय, सदस्य, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, ने नारी के बिना समाज और संसार की कल्पना को असंभव बताया। उन्होंने संयुक्त परिवार प्रणाली के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अभिभावकों को बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार अपनाना चाहिए, जिससे उनमें आत्मविश्वास और सामाजिक मूल्यों का विकास हो।

मुख्य वक्ता डॉ. स्वाति एस. मिश्रा ने नारीवाद के ऐतिहासिक विकास पर प्रकाश डालते हुए इसकी उत्पत्ति, विभिन्न चरणों और वर्तमान सामाजिक संदर्भ में इसके प्रभाव को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि नारीवाद (Narivad) की चौथी लहर में महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, लेकिन सामाजिक स्तरीकरण अब भी मौजूद है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह (MGKVP) ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी ही शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इतिहास में कई आक्रांताओं ने महिलाओं को कमजोर साबित करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय नारी सदैव समाज की धुरी बनी रही।

डॉ. कुमकुम पाठक ने वैदिक वाङ्मय में नारी के महत्व को उजागर करते हुए झांसी की रानी और देवी काली को नारी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में नारी को सम्मानित स्थान प्राप्त था, जिसे पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सोनी शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह, डॉ. संतोष कुमार मिश्र, रामात्मा श्रीवास्तव, शैलेश चौरसिया, डॉ. देवाशीष वर्मा, डॉ. जिनेश कुमार, डॉ. शिव यादव और डॉ. वैष्णवी शुक्ला सहित कई शिक्षाविद उपस्थित रहे।
