नई दिल्ली I भारत में 7 मई 2025 को 244 सिविल डिफेंस जिलों में एक राष्ट्रव्यापी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (Mock Drill 2025) आयोजित करने जा रहा है। यह ड्रिल जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली इस तरह की व्यापक कवायद है, पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और नए और जटिल खतरों के जवाब में की जा रही है। इस लेख में, हम भारत के इस मॉक ड्रिल की तुलना अन्य देशों में आयोजित मॉक ड्रिल और उनके बजट के साथ करेंगे, साथ ही वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में इसका महत्व समझेंगे।

भारत का मॉक ड्रिल: अवलोकन

भारत का मॉक ड्रिल (Mock Drill 2025), गृह मंत्रालय (MHA) के निर्देश पर 259 स्थानों पर 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य युद्ध, मिसाइल हमलों या हवाई हमलों जैसे आपातकालीन परिदृश्यों में नागरिक और सरकारी सिस्टम की तैयारियों को परखना है।
ड्रिल में शामिल गतिविधियां हैं:
एयर रेड सायरन: सार्वजनिक अलर्ट सिस्टम का परीक्षण।
ब्लैकआउट सिमुलेशन: हवाई निगरानी से बचने के लिए शहरों में लाइट्स बंद करना।
निकासी ड्रिल: नागरिकों को बंकरों या सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाना।
प्रशिक्षण: प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन, और आश्रय तकनीकों की ट्रेनिंग।

छलावरण: महत्वपूर्ण ढांचों जैसे पावर प्लांट और संचार केंद्रों को छुपाना।
संचार: भारतीय वायु सेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो लिंक का परीक्षण।
बजट: भारत के मॉक ड्रिल (Mock Drill 2025) का सटीक बजट सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया गया है लेकिन गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसमें लगभग 4 लाख सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों, NCC, NSS, NYKS और स्थानीय प्रशासन की भागीदारी शामिल है। अनुमानित लागत में सायरन सिस्टम का रखरखाव, प्रशिक्षण सामग्री और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं, जो प्रति जिला औसतन 10-15 लाख रुपये हो सकती है। कुल मिलाकर 244 जिलों के लिए यह लागत 24-36 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।
अन्य देशों में मॉक ड्रिल: तुलना और बजट

दुनिया भर में कई देश नियमित रूप से मॉक ड्रिल (Mock Drill) आयोजित करते हैं ताकि प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या आतंकी हमलों जैसे खतरों के लिए तैयार रहा जा सके। नीचे कुछ प्रमुख देशों के मॉक ड्रिल और उनके बजट का विश्लेषण दिया गया है:
1. संयुक्त राज्य अमेरिका (FEMA और DHS ड्रिल)

अवलोकन: अमेरिका में फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (FEMA) और डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) हर साल नेशनल लेवल एक्सरसाइज (NLE) आयोजित करते हैं। ये ड्रिल आतंकी हमलों, साइबर हमलों और प्राकृतिक आपदाओं जैसे परिदृश्यों को कवर करते हैं। उदाहरण के लिए 2023 में NLE ने एक सिम्युलेटेड साइबर हमले पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें 50 राज्यों और 100 से अधिक शहरों ने भाग लिया।
गतिविधियां: सायरन टेस्ट, निकासी ड्रिल, साइबर सिक्योरिटी सिमुलेशन और मल्टी-एजेंसी कोऑर्डिनेशन।

बजट: FEMA का 2023 NLE बजट लगभग $100 मिलियन (लगभग 830 करोड़ रुपये) था जिसमें टेक्नोलॉजी, प्रशिक्षण और इंटर-एजेंसी लॉजिस्टिक्स शामिल थे। यह बजट भारत के अनुमानित बजट से काफी अधिक है क्योंकि अमेरिका में ड्रिल अत्याधुनिक तकनीक और बड़े पैमाने पर साइबर-फिजिकल सिमुलेशन पर केंद्रित होते हैं।
तुलना: अमेरिका की तुलना में भारत का ड्रिल अधिक लागत-प्रभावी है लेकिन यह तकनीकी रूप से कम उन्नत है और मुख्य रूप से भौतिक आपातकालीन प्रतिक्रिया पर केंद्रित है।
2. जापान (भूकंप और सुनामी ड्रिल)

अवलोकन: जापान हर साल 1 सितंबर को डिजास्टर प्रिवेंशन डे पर राष्ट्रव्यापी भूकंप और सुनामी मॉक ड्रिल आयोजित करता है। 2024 में इस ड्रिल में 10 मिलियन से अधिक लोग, स्कूल और व्यवसाय शामिल थे जो टोक्यो में 9.0 तीव्रता के सिम्युलेटेड भूकंप पर आधारित था।
गतिविधियां: निकासी ड्रिल, सायरन अलर्ट, आपातकालीन किट वितरण और अग्निशमन प्रशिक्षण।
बजट: जापान का 2024 ड्रिल बजट लगभग ¥20 बिलियन (लगभग 1100 करोड़ रुपये) था जिसमें स्थानीय सरकारों, स्कूलों और निजी क्षेत्र की भागीदारी शामिल थी। यह बजट भारत से अधिक है क्योंकि जापान में ड्रिल में उन्नत सेंसर, ड्रोन और AI-आधारित मॉनिटरिंग शामिल होती है।

तुलना: जापान का ड्रिल प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रित है जबकि भारत का ड्रिल युद्धकालीन परिदृश्यों पर। भारत का बजट कम है लेकिन इसका दायरा (244 जिले) जापान के समान व्यापक है।
3. दक्षिण कोरिया (सिविल डिफेंस ड्रिल)

अवलोकन: दक्षिण कोरिया हर साल नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर सिविल डिफेंस के तहत मॉक ड्रिल (Mock Drill) आयोजित करता है जो उत्तर कोरिया से संभावित हमलों के लिए तैयारियों पर केंद्रित है। 2024 में इस ड्रिल में 51 मिलियन नागरिकों ने भाग लिया जिसमें हवाई हमले और मिसाइल हमले के सिमुलेशन शामिल थे।
गतिविधियां: सायरन अलर्ट, बंकर निकासी और सैन्य-नागरिक समन्वय।
बजट: 2024 में दक्षिण कोरिया का सिविल डिफेंस बजट लगभग ₩200 बिलियन (लगभग 1200 करोड़ रुपये) था जिसमें सैन्य उपकरण, सायरन सिस्टम और जन जागरूकता अभियान शामिल थे।
तुलना: दक्षिण कोरिया का ड्रिल भारत के समान युद्ध-केंद्रित है लेकिन इसका बजट भारत से काफी अधिक है, क्योंकि इसमें सैन्य और नागरिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। भारत का ड्रिल अधिक स्वयंसेवक-आधारित और कम तकनीकी है।
4. रूस (न्यूक्लियर और सिविल डिफेंस ड्रिल)

अवलोकन: रूस हर साल सिविल डिफेंस डे पर मॉक ड्रिल (Mock Drill) आयोजित करता है जो न्यूक्लियर हमलों और हवाई हमलों के लिए तैयारियों पर केंद्रित है। 2024 में इस ड्रिल में 60 मिलियन लोग और 80,000 से अधिक बंकर शामिल थे।
गतिविधियां: न्यूक्लियर शेल्टर ड्रिल, सायरन टेस्ट और सैन्य-नागरिक समन्वय।
बजट: रूस का 2024 ड्रिल बजट लगभग ₽15 बिलियन (लगभग 1300 करोड़ रुपये) था जिसमें बंकर रखरखाव और सैन्य लॉजिस्टिक्स शामिल थे।
तुलना: रूस का ड्रिल भारत की तुलना में अधिक सैन्य-केंद्रित और महंगा है। भारत का ड्रिल नागरिक भागीदारी पर अधिक निर्भर है और लागत में किफायती है।
भारत का मॉक ड्रिल: वर्तमान परिदृश्य और महत्व

भारत का 7 मई 2025 का मॉक ड्रिल (Mock Drill) पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे और भारत ने इसे पाकिस्तान-आधारित आतंकवादियों से जोड़ा है। इसके जवाब में भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी।
वर्तमान परिदृश्य: भू-राजनीतिक तनाव: पाकिस्तान ने हाल ही में एक्सरसाइज इंडस के तहत मिसाइल परीक्षण किए जिसे भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
सुरक्षा उपाय: भारत ने सीमा पर पुराने बंकरों को पुनर्जनन शुरू कर दिया है और सशस्त्र बलों को पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता दी है।
जागरूकता और तैयारियां: गृह मंत्रालय ने नागरिकों को मेडिकल किट, टॉर्च और मोमबत्तियां तैयार रखने की सलाह दी है।
महत्व:
यह ड्रिल (Mock Drill) नागरिकों और प्रशासन के बीच समन्वय को मजबूत करेगी जिससे आपात स्थिति में घबराहट और अव्यवस्था कम होगी।
यह भारत की सिविल डिफेंस रणनीति को आधुनिक खतरों जैसे ड्रोन हमले और मिसाइल हमले के लिए अपडेट करने का अवसर प्रदान करता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह ड्रिल (Mock Drill) भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने का संदेश देता है, खासकर क्षेत्रीय तनाव के बीच।
अन्य देशों से सबक:
जापान: भारत जापान की तरह स्कूलों और समुदायों में नियमित ड्रिल को शामिल कर सकता है ताकि दीर्घकालिक जागरूकता बढ़े।
दक्षिण कोरिया: भारत सैन्य-नागरिक समन्वय को और मजबूत करने के लिए दक्षिण कोरिया के मॉडल से सीख सकता है।
अमेरिका: भारत ड्रिल में साइबर सिक्योरिटी और AI-आधारित मॉनिटरिंग को शामिल करके अपनी तकनीकी क्षमता बढ़ा सकता है।
भारत का 7 मई 2025 का मॉक ड्रिल (Mock Drill 2025) अन्य देशों जैसे अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और रूस की तुलना में कम बजट वाला है फिर भी यह अपनी व्यापकता और नागरिक भागीदारी के कारण प्रभावी है। अनुमानित 24-36 करोड़ रुपये के बजट के साथ यह ड्रिल लागत-प्रभावी है और भारत की सिविल डिफेंस रणनीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव के बीच, यह ड्रिल न केवल आपातकालीन तैयारियों को परखेगा, बल्कि नागरिकों में आत्मविश्वास और जागरूकता भी बढ़ाएगा।