नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (MPACS) की स्थापना की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन के तहत यह पहल देश के हर गांव और पंचायत में कम से कम एक सहकारी समिति स्थापित करने पर केंद्रित है। इस योजना के तहत डेयरी, मत्स्य पालन, और अन्य क्षेत्रों में ऋण, बाजार और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में 2 लाख बहुउद्देशीय पैक्स स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है। इन समितियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हुए वंचित क्षेत्रों तक सेवाएं पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
सरकार ने इस योजना को दो प्रमुख आयामों में बांटा है :-
- नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना।
- मौजूदा सहकारी समितियों का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण।
नाबार्ड (NABARD), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) जैसी एजेंसियां इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल हैं। सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समयबद्ध तरीके से इस योजना को लागू करने का निर्देश दिया गया है।
सहकारिता मंत्रालय का मार्गदर्शन :-
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक मार्गदर्शिका भी जारी की है। इसमें मानक प्रक्रियाएं, लक्षित समय-सीमा, और निगरानी तंत्र की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके साथ ही, अन्य सरकारी योजनाओं जैसे डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना कोष (DIDF), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NDDP) और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के साथ तालमेल भी स्थापित किया गया है।
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, अब तक देश में 10,458 नई बहुउद्देशीय पैक्स पंजीकृत की जा चुकी हैं। उत्तराखंड, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। उत्तराखंड ने सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण और विविधीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई है। वहीं, ओडिशा में 1,529 बहुउद्देशीय पैक्स आकांक्षी जिलों के साथ जुड़ी हुई हैं। राजस्थान में 738 पैक्स की स्थापना की गई है, जिसमें डेयरी सहकारी समितियों पर विशेष जोर दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन और पशुधन जैसी गतिविधियां आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। बहुउद्देशीय पैक्स इन गतिविधियों को तकनीकी, वित्तीय और बाजार सहायता प्रदान करते हुए ग्रामीण समुदायों की स्थिति सुधारने में सहायक होंगी।
प्रस्तावित संरचनाओं से किसानों और उत्पादकों को डिजिटल और भौतिक बाजार तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इससे सप्लाई चेन में मजबूती आएगी और कृषि-लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा मिलेगा। सहकारी समितियों के इस विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बहुउद्देशीय पैक्स का यह मॉडल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए स्थायी आजीविका का माध्यम भी बनेगा। यह योजना ग्रामीण भारत को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने में एक नई दिशा प्रदान करेगी।