मायावती का चुनाव आयोग पर हमला: मतदाता सूची पुनरीक्षण की समय सीमा बढ़ाएं, बैलेट पेपर से कराएं चुनाव
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) की बेहद कम समय सीमा पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस अभियान का विरोध नहीं करती, लेकिन इतनी जल्दबाजी उचित नहीं है। इससे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) भारी दबाव में हैं और कई बीएलओ अपनी जान तक गंवा चुके हैं।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 15.40 करोड़ मतदाता हैं और यहां निकट भविष्य में कोई चुनाव भी नहीं होने वाला। ऐसे में बीएलओ को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। जल्दबाजी में लाखों वैध मतदाताओं, खासकर गरीबों और बाहर काम करने गए लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट जाएंगे, जिससे उनका संवैधानिक मताधिकार छिन जाएगा। इसलिए एसआईआर की समय सीमा बढ़ाई जानी जरूरी है।
आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन का स्वागत करते हुए कहा कि जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया जाता है, उनमें से कई अपना आपराधिक रिकॉर्ड पार्टी से छिपा लेते हैं। ऐसे में हलफनामा और अखबारों में विज्ञापन की सारी जिम्मेदारी उम्मीदवार पर ही डाली जानी चाहिए। बाद में यदि छिपाने की बात सामने आए तो पार्टी के बजाय उम्मीदवार को ही जिम्मेदार ठहराया जाए।
सबसे बड़ा सुझाव ईवीएम को लेकर दिया। मायावती ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और सभी दलों-मतदाताओं का विश्वास कायम करने के लिए ईवीएम पूरी तरह हटाकर पुराने बैलेट पेपर सिस्टम को फिर से लागू किया जाना चाहिए। यदि अभी ऐसा संभव न हो तो कम से कम हर बूथ पर वीवीपैट की सभी पर्चियों की 100% गिनती करके ईवीएम के आंकड़ों से मिलान अनिवार्य किया जाए।
उन्होंने चुनाव आयोग के उस तर्क को खारिज किया कि बैलेट पेपर से गिनती में ज्यादा समय लगेगा। मायावती ने कहा कि अगर कुछ घंटे या एक-दो दिन ज्यादा लगते हैं तो इससे लोकतंत्र को क्या नुकसान होगा? लोकतंत्र की पवित्रता और निष्पक्षता सबसे ऊपर है।”
