प्रयागराज। महाकुंभ 2025 से पहले गंगा और यमुना नदी के जल को शुद्ध करने के प्रयासों में देरी पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार की उच्च स्तरीय कमेटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। गंगा जल की शुद्धता पर रिपोर्ट न जमा करने को लेकर एनजीटी ने सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख सचिव को 9 दिसंबर को तलब किया है।
एनजीटी का सख्त रुख
एनजीटी ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट जमा करने में हो रही देरी को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ट्रिब्यूनल ने कहा कि 9 दिसंबर को सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा।
एनजीटी की तीखी टिप्पणियां
एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा,”महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। यदि गंगा में सीवेज का मल-जल गिरना नहीं रोका गया, तो यह तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनेगा।”*
सरकार के वकील द्वारा रिपोर्ट तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय मांगे जाने पर एनजीटी ने कहा, रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने में मात्र 20-30 सेकंड का समय लगता है। इतने लंबे समय त रिपोर्ट क्यों तैयार नहीं हो सकी?”
कमेटी की सुस्ती पर उठे सवाल
एनजीटी ने उच्च स्तरीय कमेटी की धीमी गति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 23 सितंबर को आदेश दिए गए थे, लेकिन कमेटी ने 7 नवंबर से काम शुरू किया। एनजीटी ने यह भी टिप्पणी की कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमेटी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा क्यों नहीं ले सकती थी।

एनजीटी ने वाराणसी और प्रयागराज को विशेष रूप से जल शुद्धता के लिए प्राथमिकता देने का निर्देश दिया।
- वाराणसी: एनजीटी ने 2021 में जल शुद्धता को लेकर आदेश जारी किए थे।
- प्रयागराज: 2022 में गंगा और यमुना के जल को स्वच्छ बनाने के लिए निर्देश दिए गए थे।
गंगा का जल पीने और आचमन योग्य नहीं: रिपोर्ट
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने 1 जुलाई के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि गंगा नदी का पानी पीने और आचमन के लिए उपयुक्त नहीं है।
एनजीटी ने 23 सितंबर को आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। इसमें पर्यावरण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय और उत्तर प्रदेश व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख शामिल हैं। कमेटी को गंगा और यमुना में सीवेज के सीधे प्रवाह को रोकने के उपायों की रिपोर्ट दो महीने के भीतर जमा करनी थी, लेकिन यह अब तक नहीं हो पाया।
याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी की याचिका और एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने अगली तारीख 9 दिसंबर निर्धारित की है। यह सुनवाई एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ के समक्ष हुई।