वाराणसी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को वाराणसी के जिलाधिकारी (डीएम) एस. राजलिंगम से गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर कड़े सवाल पूछे। एनजीटी ने गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में हो रही देरी पर भी गहरी नाराजगी जाहिर की। वहीं इस उसे पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्ट पर पोस्ट कर बीजेपी को गिरते हुए लिखा है कि जिन्होंने माँ गंगा से झूठ बोला, उनके वादों पर न जाएं। ‘नमामि गंगे’ व ‘स्वच्छ गंगा’ के नाम पर भाजपा सरकार में पिछले 10 वर्षों में अरबों रुपयों के फ़ंड निकाले तो गये पर वो फ़ंड माँ गंगा के घाट तक नहीं पहुँचे।
उन्होंने आगे लिखा, फ़ाइलों में गंगा जी के स्वच्छ, अविरल, निर्मल होने के दावों का सच ये है कि वाराणसी में माँ गंगा इतनी दूषित हो चुकी हैं कि पीने योग्य तो छोड़िए, ये जल नहान-स्नान के लायक भी नहीं है। इसी संदर्भ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने देश के प्रधान संसदीय क्षेत्र ‘वाराणसी’ के ज़िलाधिकारी महोदय से ये पूछकर सारा सच स्पष्ट कर दिया है कि ‘क्या आप गंगाजल पी सकते हैं?’ साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की ये सलाह भी डबल इंजन की सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूबने के बराबर है कि उनके राज में तथाकथित क्योटो अर्थात काशी के डीएम साहब अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए गंगा किनारे एक चेतावनी भरा बोर्ड लगवा दें कि ‘ये गंगा जल पीने-नहाने योग्य नहीं है।’
अखिलेश यादव ने इसे निंदनीय और शर्मनाक बताते हुए कहा है कि काशी कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!
बता दें कि बीते सोमवार को एनजीटी की पीठ ने डीएम से पूछा था कि, “क्या आप वाराणसी में गंगा का पानी पीने के लायक मानते हैं? क्या गंगा का पानी स्नान और आचमन के लिए उपयुक्त है?” इन सवालों का कोई जवाब न मिलने पर एनजीटी ने कहा, “अगर ऐसा है, तो क्यों नहीं गंगा किनारे बोर्ड लगा दिया जाता कि वाराणसी में गंगा का पानी नहाने या पीने के लिए उपयुक्त नहीं है।” इस सवाल पर डीएम ने उत्तर दिया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और वे शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।