नई दिल्ली: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने के मानदंडों में बड़ा परिवर्तन होने वाला है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) 2018 के नियमों को संशोधित कर 2024 में नए प्रावधान लागू करने की योजना बना रहा है। नए नियमों के तहत शिक्षक बनने के लिए संबंधित विषय में यूजीसी नेट या पीएचडी होना अनिवार्य होगा। इससे पहले, स्नातक (यूजी), परास्नातक (पीजी), और पीएचडी का एक ही विषय में होना जरूरी था।
एनईपी 2020 के तहत लचीले नियमों की शुरुआत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अंतर्गत बहुविषयक पढ़ाई को बढ़ावा देने की दिशा में यह परिवर्तन किया जा रहा है। अब शिक्षक बनने के लिए छात्रों को अधिक स्वतंत्रता और विविधता का अवसर मिलेगा। यह बदलाव छात्रों को विभिन्न विषयों में पढ़ाई और शोध के लिए प्रेरित करने का लक्ष्य रखता है।
प्रमोशन की प्रक्रिया में नए मानदंड
शिक्षकों के प्रमोशन के लिए अब शोधपत्रों के साथ-साथ स्टार्टअप, नवाचार, पेटेंट, उद्योग साझेदारी, और उद्यमिता को भी महत्व दिया जाएगा। असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी और फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग को अनिवार्य किया गया है।
विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों के लिए अवसर
योग, नाटक, फाइन आर्ट्स जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में विशेष योग्यता रखने वाले और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति भी अब असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और शिक्षकों को नए विचारों व कौशल से लैस करना है। यह कदम वैश्विक जरूरतों और उच्च शिक्षा के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।