वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर 15 नवंबर को देशभर में देव दीपावली का पर्व उल्लास से मनाया जाएगा, जिसमें काशी नगरी का उत्सव विशेष रूप से भव्य और अलौकिक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्वर्ग से देवता भगवान शिव के साथ काशी में दीपों का त्योहार मनाने आते हैं। गंगा तट पर दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव की आराधना करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में निवास करते हैं। इन पौराणिक परंपराओं के आधार पर काशी में देव दीपावली को भव्य रूप से मनाने की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही हैं।
काशी के 84 से अधिक घाटों, सभी मठ-मंदिरों, सरोवरों और घरों में दीप जलाए जाने की योजना है, और अनुमान है कि इस अवसर पर करीब 20 लाख दीपों से संपूर्ण काशी जगमगाएगी।
देवताओं की दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का महत्त्व त्रिपुरासुर असुर के अत्याचार से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर स्वर्गलोक को देवताओं को वापस सौंप दिया और अपनी प्रिय नगरी काशी पहुँचे। देवताओं ने इस जीत की खुशी में शिव का स्वागत करते हुए कार्तिक पूर्णिमा पर काशी में दीप जलाए, और यहीं से देव दीपावली की परंपरा का आरंभ हुआ। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान से अपार पुण्य प्राप्त होता है। इसी वजह से काशी में देव दीपावली के अद्वितीय आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं।
लेजर शो और आतिशबाजी बनेगा आकर्षण
देव दीपावली के अवसर पर काशी के गंगा तट पर लाखों दीपों की आभा बिखरेगी। इस अद्भुत दृश्य को और आकर्षक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ललिता घाट और चेतसिंह किले पर विशेष लेजर शो का आयोजन किया है। इस लेजर शो के माध्यम से श्रद्धालु शिव पुराण की अद्भुत प्रस्तुति देख सकेंगे, और माँ गंगा की विशेष आरती का आयोजन होगा।
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा के अनुसार, दशाश्वमेघ घाट पर माँ गंगा की आरती में 21 अर्चक और देव कन्याएँ रिद्धि-सिद्धि के रूप में आराधना करेंगी। आरती के पश्चात गंगा पार के रेत पर पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा इको-फ्रेंडली आतिशबाजी की जाएगी। साथ ही, नमो घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।
जिलाधिकारी एस. राज लिंगम ने बताया कि गंगा तट पर जलाए जाने वाले दीप, लेजर शो, आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।